राज्यपालों और विपक्ष शासित राज्यों के बीच तनातनी के पीछे राजनीतिक कारण |

राज्यपालों और विपक्ष शासित राज्यों के बीच तनातनी के पीछे राजनीतिक कारण

राज्यपालों और विपक्ष शासित राज्यों के बीच तनातनी के पीछे राजनीतिक कारण

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:44 PM IST, Published Date : April 26, 2022/7:39 pm IST

चेन्नई, 26 अप्रैल (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नीट विरोधी विधेयक को लेकर राज्यपाल आरएन रवि पर तीखे हमले ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या सरकार और राजभवन के बीच टकराव केंद्र और राज्य सरकारों के बीच टकराव का मार्ग प्रशस्त करेगा?

एक कड़े संदेश में राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक के अध्यक्ष स्टालिन ने सोमवार को कहा था कि सरकार नीट विरोधी विधेयक के लिए रवि से मंजूरी नहीं मांग रही है, बल्कि इसे ‘डाकिया’ की तरह राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजने को कह रही है।

राजनीतिक टिप्पणीकार एम भरत कुमार ने कहा कि गैर-भाजपा शासित राज्यों तेलंगाना, केरल, पश्चिम बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य के विश्लेषण और तमिलनाडु में उभरते ‘राजनीतिक हालात’ से 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक लड़ाई के तेज होने के संकेत मिलते हैं।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “तमिलनाडु या कहीं और, टकराव केवल राजनीतिक हो सकता है। केंद्र और राज्यों के बीच संबंध शायद प्रभावित नहीं हों। मुद्दा यह है कि आपको दृढ़ता से लड़ना जारी रखना होगा और उनका अंतिम लक्ष्य 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर करना है।”

कुमार के मुताबिक, भाजपा जहां इन राज्यों में अपने जनाधार का विस्तार करने के दृढ़ प्रयासों में जुटी है, वहीं क्षेत्रीय दल अपनी जड़ों को और मजबूत बनाने तथा भाजपा के लिए राज्य में कोई चुनावी जगह नहीं बनने देने के प्रयास में आक्रामक हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह एक ‘चाल’ है, इसलिए ‘ऐसे राज्यों में सत्तारूढ़ दलों को राज्यपाल और उनके माध्यम से केंद्र को संबद्ध राज्यों के हितों के विरूद्ध पेश करने की आवश्यकता दिखाई पड़ रही है। उन्होंने ऐसे दलों के लिए ऐसा कोई भी मुद्दा जो लोगों को रास आ सके, स्वागत योग्य है।

कुमार ने कहा, “राजभवन और सरकारों के बीच टकराव नया नहीं है। आपको तमिलनाडु में जे जयललिता के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक सरकार और राज्यपाल चेन्ना रेड्डी तथा कर्नाटक में राज्यपाल एचआर भारद्वाज बनाम भाजपा सरकार से जुड़े विवाद याद होंगे।”

कुमार के अनुसार, केरल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे गैर-भाजपा शासित राज्यों में भी संबंधित राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों के बीच विवाद हुए हैं, जो अक्सर सुर्खियों में रहे हैं।

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने पिछले साल घोषणा की थी कि उन्होंने कथित राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण राज्य में विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति पद छोड़ने का फैसला किया है।

पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ कई बार तनातनी हुई है, जबकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच तनावपूर्ण संबंध किसी से छिपे नहीं हैं।

भाषा पारुल माधव

माधव

 

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