बारामूला में रिकार्ड मतदान: अधिकारी मानते हैं कि जमात-ए-इस्लामी ने मतदाताओं को प्रोत्साहित किया |

बारामूला में रिकार्ड मतदान: अधिकारी मानते हैं कि जमात-ए-इस्लामी ने मतदाताओं को प्रोत्साहित किया

बारामूला में रिकार्ड मतदान: अधिकारी मानते हैं कि जमात-ए-इस्लामी ने मतदाताओं को प्रोत्साहित किया

:   Modified Date:  May 21, 2024 / 11:14 PM IST, Published Date : May 21, 2024/11:14 pm IST

(सुमीर कौल)

बारामूला, 21 मई (भाषा) अनुच्छेद 370 के निरसन के बाद उत्तरी कश्मीर के बारामूला लोकसभा क्षेत्र में रिकॉर्ड मतदान प्रतिशत का श्रेय सरकार द्वारा प्रतिबंध हटाने की स्थिति में जमात-ए-इस्लामी के चुनावी राजनीति में उतरने के ऐलान समेत विभिन्न कारकों को दिया जा सकता है। उच्च पदस्थ अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

इस निर्वाचन क्षेत्र में 17,32,459 मतदाता हैं जिनमें से 10,07,636 ने वोट डाला। यह कुल मतदाताओं का 58.17 प्रतिशत है। यह 1967 के बाद से इस निर्वाचन क्षेत्र में सर्वाधिक मतदान है।

इस संसदीय क्षेत्र में बारामूला, बांदीपुरा और कुपवाड़ा जिलों के 16 विधानसभा क्षेत्र तथा बडगाम जिले के दो विधानसभा क्षेत्र हैं।

भाजपा मतदान में इस उच्च भागीदारी को कांग्रेस के नेतृत्व वाले पिछले शासन को अस्वीकार किए जाने के रूप में देखती है जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) जैसे दल इस ऐतिहासिक मतदान प्रतिशत को जम्मू कश्मीर के प्रति केंद्र की नीतियों को लोगों द्वारा खारिज किए जाने के रूप में पेश कर रहे हैं।

स्थिति पर नजर रख रहे उच्च पदस्थ अधिकारियों ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी ने गुप्त रूप से मतदाताओं को मतदान के लिए प्रोत्साहित करने में भूमिका निभाई। जमात-ए-इस्लामी पर 2019 में केंद्र ने आतंकवादी गतिविधियों को लेकर पांच साल के लिए पाबंदी लगा दी थी।

उनके अनुसार, चिकलूरा, सोइबुग, नैदखाई, चिट्टी बांदी, सीलू और काजियाबाद जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में मतदान पैटर्न पर अहम असर डालने में जमात-ए-इस्लामी की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

जमात-ए-इस्लामी अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का हिस्सा है जिसने 1993 में अपनी स्थापना के बाद से चुनाव बहिष्कार अभियान चलाया है।

वर्ष 2003 में हुर्रियत के नरमपंथी और कट्टरपंथी धड़ों में बंट जाने के बाद से जमात-ए-इस्लामी तटस्थ रहा। जमात-ए-इस्लामी को पाकिस्तान समर्थक आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन का जनक संगठन बताया जाता है।

जमात-ए-इस्लामी के पूर्व प्रमुख गुलाम कादिर वानी ने हाल में कहा था कि यदि केंद्र उनके संगठन पर से पाबंदी हटा देता है तो वह विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेगा।

वानी ने कहा था, ‘‘हम केंद्र के साथ बातचीत कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि हमसे पाबंदी हटाई जाए और हम समाज में अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं। यदि पाबंदी हटाई जाती है तो हम चुनाव में हिस्सा ले सकते हैं।’’

अतीत के विपरीत इस बार 20 मई को मतदान के दिन बिलकुल भिन्न परिदृश्य नजर आया। मतदान शुरू होने के बाद सभी मतदान केंद्रों में काफी मतदान हुआ। पहले खासकर सोपोर जैसे अलगाववादियों एवं आतंकवादियों के प्रभाव वाले हिस्सों में ज्यादातर मतदाता मतदान के दिन अपने घरों में रहते थे और मतदान केंद्र पर नहीं जाते थे।

निर्वाचन अधिकारियों द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, बारामूला जिले में सबसे अधिक 3,93,566 मतदाताओं ने मतदान किया। कुपवाड़ा में 3,38,495, बांदीपुरा में 1,53,006 और बडगाम में 1,22,569 मतदाताओं ने वोट डाला।

बारामूला के सात विधानसभा क्षेत्रों में उरी में सर्वाधिक 62.94 प्रतिशत, पट्टन में 60.01 प्रतिशत, गुलमर्ग में 57.87 प्रतिशत, राफियाबाद में 57.38 प्रतिशत, बारामूला में 52.15 प्रतिशत, वगूरा क्रीरि में 49.21 प्रतिशत और सोपोर में 44.21 प्रतिशत मतदान हुआ।

इसी तरह, कुपवाड़ा के छह विधानसभा क्षेत्रों में हंदवाड़ा में सबसे अधिक 72.04 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि लंगेट में 63.60 प्रतिशत, त्रेहगाम में 62.56 प्रतिशत, करनाह में 61.86 प्रतिशत और लोलाब में 58.77 प्रतिशत मतदान हुआ।

बांदीपोरा जिले का सोनावारी विधानसभा क्षेत्र 62.32 प्रतिशत मतदान के साथ शीर्ष पर रहा जबकि बांदीपोरा में 59.20 प्रतिशत और गुरेज (एसटी) में 40.81 प्रतिशत मतदान हुआ। बडगाम और बीरवाह में 52 प्रतिशत और 58.80 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।

सोमवार के मतदान से नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पूर्व अलगाववादी एवं पूर्व मंत्री सज्जाद लोन समेत 22 प्रत्याशियों के राजनीतिक भाग्य का फैसला होगा।

अब्दुल्ला ने कहा कि उच्च मतदान प्रतिशत की वजह अनुच्छेद 370 के निरसन के बाद घटनाक्रम पर उनकी पार्टी के रुख के साथ मतदाताओं का आना है।

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने और जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटे जाने से नाराज लोगों ने भारी मतदान किया।

इस बीच, भाजपा नेता जहांजेब सिरवाल ने कहा कि श्रीनगर में 38 प्रतिशत मतदान के बाद बारामूला में रिकॉर्ड मतदान प्रतिशत इस क्षेत्र में राजनीतिक जागरूकता को दर्शाता है और संकेत देता है कि अतीत के कुशासन को अस्वीकार कर लोग लोकतांत्रिक मूल्यों को गले लगा रहे हैं।

भाषा राजकुमार नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)