Principal Scientific Adviser made a big statement, said - new space policy

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने दिया बड़ा बयान, कहा – जल्द आएगी नयी अंतरिक्ष नीति, भारत में हो सकता है स्पेसएक्स जैसा उद्यम…

Principal Scientific Adviser made a big statement, said - new space policy will come soon : जल्द आएगी नयी अंतरिक्ष नीति, भारत में हो सकता है स्पेसएक्स जैसा उद्यम...

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:05 PM IST, Published Date : June 1, 2022/3:40 pm IST

नयी दिल्ली : प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद ने कहा है कि निजी भागीदारी को और बढ़ाने के प्रयास के तहत सरकार जल्द ही एक नयी अंतरिक्ष नीति लाएगी जिससे भारत में ‘‘स्पेसएक्स जैसे उद्यमों’’ को प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार के शीर्ष विज्ञान सलाहकार ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि परामर्श हो चुका है और अंतरिक्ष नीति का अंतिम संस्करण जल्द ही आगे की जांच के लिए अधिकार प्राप्त प्रौद्योगिकी समूह को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘अंतरिक्ष नीति पर काम चल रहा है। हम इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, लेकिन पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) के उपग्रहों की एक नयी तकनीक है। यह एक कम लागत वाला कार्य है।’’ सूद ने 25 अप्रैल को कार्यभार संभाला है।

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उन्होंने कहा, ‘‘एलईओ में बड़ी संख्या में उपग्रह होते हैं। इससे अंतरिक्ष क्षेत्र बदल जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि सरकार स्वास्थ्य देखभाल, कृषि से लेकर शहरी विकास और संपत्ति कर आकलन तक कई तरह की जरूरतों के लिए निजी क्षेत्र में उपग्रहों के निर्माण को प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस क्षेत्र की पूरी क्षमता का दोहन नहीं किया है। अंतरिक्ष क्षेत्र देख रहा है कि 1990 के दशक में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने क्या अनुभव किया। अगले दो वर्षों में हमारा अपना स्पेसएक्स होगा।’

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’एलन मस्क ने 2002 में स्पेसएक्स की शुरुआत की थी। यह निजी कंपनी उन्नत रॉकेट और अंतरिक्ष यान का डिजाइन, निर्माण और प्रक्षेपण करती है। सूद ने कहा कि मानव जाति के लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग के अपार अवसर हैं लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) क्या कर सकता है इसकी सीमाएं हैं। सूद ने कहा, ‘‘नए प्रक्षेपण वाहन, अंतरिक्ष यान के लिए नए ईंधन विकसित किए जा रहे हैं। जब हम अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलेंगे तो यह कई सारी चीजों को आपस में जोड़ेगा।’’ उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र को खोले जाने से कृषि, शिक्षा, आपदा प्रबंधन, ई-कॉमर्स एप्लिकेशन जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए समर्पित उपग्रह हो सकते हैं।

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सूद ने कहा, ‘‘एडुसेट को 2004 में प्रक्षेपित किया गया था। दूसरा संस्करण अभी तक प्रक्षेपित नहीं किया गया है। तो क्यों न निजी क्षेत्र को कारोबार में आने दिया जाए? ऐसा होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र के लिए हमारे पास ऐसे उपग्रह हो सकते हैं जो जलवायु, मिट्टी की स्थिति के बारे में जानकारी दे सकें। इसे ई-कृषि कहा जा सकता है। विचार प्रक्रिया पहले से ही चल रही है।’’उद्योग के अनुमानों के अनुसार, वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 423 अरब डॉलर आंकी गई है जिसमें भारत की हिस्सेदारी दो से तीन प्रतिशत है। ‘मॉर्गन स्टेनली’ का अनुमान है कि 2040 तक वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग का विस्तार एक ट्रिलियन डॉलर तक हो जाएगा।