साबरमती आश्रम पुनर्विकास : उच्च न्यायालय ने दो निवासियों की आपत्ति खारिज की |

साबरमती आश्रम पुनर्विकास : उच्च न्यायालय ने दो निवासियों की आपत्ति खारिज की

साबरमती आश्रम पुनर्विकास : उच्च न्यायालय ने दो निवासियों की आपत्ति खारिज की

:   Modified Date:  April 8, 2024 / 05:05 PM IST, Published Date : April 8, 2024/5:05 pm IST

अहमदाबाद, आठ अप्रैल (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को साबरमती आश्रम परिसर के दो निवासियों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें आश्रम के पुनर्विकास के लिए उन्हें आवास खाली करने पर दिए जा रहे मुआवजे पर नाराजगी जताई गई थी।

मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आश्रम परिसर में रह रहे जयेश वाघेला और करण सोनी की याचिका खारिज कर दी। इससे पहले एकल पीठ ने भी उनकी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि जिला अधिकारियों ने उन्हें समझौता ज्ञापन (एमओयू) में परिसर खाली करने के लिए मुआवजे के रूप में तीन विकल्प दिए गए थे जिनमें 90 लाख रुपये नकद, एक फ्लैट या एक किराये का मकान शामिल है।

उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें धोखा दिया गया है क्योंकि चौथा विकल्प जमीन और 25 लाख रुपये तथा दो साल तक 12,000 रुपये प्रति माह की दर से किराया था जिसके बारे में एमओयू पर हस्ताक्षर करने के समय नहीं बताया गया।

याचिकाकर्ताओं ने समान मूल्य के फ्लैट या किराये के बदले नकद मुआवजा स्वीकार करने का फैसला किया था।

स्थानीय अधिकारियों ने 1,200 करोड़ रुपये की परियोजना के हिस्से के रूप में साबरमती आश्रम परिसर में रह रहे 260 दीर्घकालिक किरायेदारों को उनकी संपत्तियों का अधिग्रहण करने के लिए मुआवजे की पेशकश की है। इस परियोजना का उद्देश्य साबरमती आश्रम के आसपास के बुनियादी ढांचे को पुनर्विकसित करना, आगंतुकों को अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करना और महात्मा गांधी को समर्पित विश्व स्तरीय स्मारक स्थापित करना है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने चार अक्टूबर, 2021 को एमओयू पर हस्ताक्षर किए, जो दर्शाता है कि उन्होंने सोच समझकर 90 लाख रुपये नकद लेने का विकल्प चुना।

एमओयू पर हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद उन्हें इस शर्त पर 60 लाख रुपये का भुगतान किया गया कि उन्हें 30 दिनों के भीतर संपत्ति खाली करनी होगी।

हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने इसका पालन नहीं किया और राज्य अधिकारियों द्वारा शुरू किए गए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए अदालत में याचिका दायर की।

एकल पीठ ने 29 फरवरी 2024 ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ताओं ने प्रक्रिया के तहत एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे।

भाषा धीरज मनीषा

मनीषा

 

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