नाबालिग को जमानत से इनकार करने के उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप से शीर्ष अदालत का इनकार |

नाबालिग को जमानत से इनकार करने के उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप से शीर्ष अदालत का इनकार

नाबालिग को जमानत से इनकार करने के उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप से शीर्ष अदालत का इनकार

:   Modified Date:  May 22, 2024 / 04:58 PM IST, Published Date : May 22, 2024/4:58 pm IST

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है, जिसमें उसने पिछले साल कथित तौर पर आत्महत्या करने वाली 14 वर्षीय लड़की का वीडियो बनाने और प्रसारित करने के आरोपी एक नाबालिग लड़के को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की अवकाशकालीन पीठ ने एक अप्रैल के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली नाबालिग की याचिका को खारिज कर दिया। उसने अपनी मां के माध्यम से याचिका दायर की थी।

नाबालिग लड़का भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के प्रावधानों के तहत हरिद्वार जिले में दर्ज एक मामले में आरोपी है।

उच्चतम न्यायालय ने 20 मई को दिए गए अपने आदेश में कहा, ”याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील की सारी दलीलें सुनने और रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने के बाद हम इस स्तर पर उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। तदनुसार, विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज की जाती हैं।’

नाबालिग ने किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) द्वारा पारित उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसमें उसकी जमानत की अर्जी खारिज कर दी गई थी।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि लड़की पिछले साल 22 अक्टूबर से अपने घर से लापता थी और बाद में उसका शव बरामद किया गया था।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि नाबालिग आरोपी पर अपनी सहपाठी लड़की का एक वीडियो बनाने और उसे छात्रों के बीच प्रसारित करने का आरोप था। लड़की उसे सहन नहीं कर सकी जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली।

भाषा प्रीति वैभव

वैभव

 

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