न्यायालय ने मयंक मेहता के बैंक खातों तक पहुंच के लिए सीबीआई को अधिकार पत्र देने का सुझाव दिया |

न्यायालय ने मयंक मेहता के बैंक खातों तक पहुंच के लिए सीबीआई को अधिकार पत्र देने का सुझाव दिया

न्यायालय ने मयंक मेहता के बैंक खातों तक पहुंच के लिए सीबीआई को अधिकार पत्र देने का सुझाव दिया

:   Modified Date:  January 31, 2023 / 06:36 PM IST, Published Date : January 31, 2023/6:36 pm IST

नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में आरोपी एवं भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी के बहनोई मयंक मेहता को विदेशों में स्थित अपने बैंक खातों तक पहुंचने और उनकी जांच करने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को ‘अधिकार पत्र’ सौंपने का मंगलवार को सुझाव दिया।

शीर्ष न्यायालय सीबीआई की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका जांच एजेंसी के ‘बैंकिंग सिक्युरिटीज फ्रॉड ब्रांच’, मुंबई के जरिये दायर की गई है। इसमें बंबई उच्च न्यायालय के 23 अगस्त 2022 के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत मेहता को हांगकांग की यात्रा करने और तीन महीने वहां ठहरने की अनुमति दी गई थी।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि पीएनबी धोखाधड़ी मामले में हेराफेरी की गई राशि की एक बड़ी मात्रा मेहता को प्राप्त हुई थी और उसने उसे अपने तथा अपनी पत्नी के विदेश स्थित बैंक खातों में भेज दिया था।

मेहता एक ब्रिटिश नागरिक है, जो अपने परिवार के साथ हांगकांग में रहता है। वह मुंबई की एक अदालत में पेश होने के लिए आठ सितंबर 2021 को भारत आया था।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘हम आपको (मेहता के वकील को) यह सुझाव देते हैं कि आप बैंक विवरण तक पहुंचने के लिए एक नामित अधिकारी को अधिकार पत्र दीजिए। विषय समाप्त हो गया। या, हम सीबबीआई की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करेंगे और फैसला देंगे।’’

पीठ ने कहा , ‘‘क्या आप अधिकार पत्र देने को इच्छुक हैं? हमने यह सुझाव दिया है…या तो आप अनुरोध स्वीकार करें और अधिकार पत्र सीबीआई को दीजिये या हम विषय की सुनवाई करेंगे।’’

इसके बाद न्यायालय ने विषय की सुनवाई नौ फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दी।

सुनवाई की शुरूआत में सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने पीठ को मामले में अब तक के घटनाक्रम से अवगत कराया।

कानून अधिकारी ने कहा, ‘‘स्थिति यह है कि पिछली बार हमने अपने काबिल दोस्त (मेहता के वकील) से हमें एक अधिकार पत्र देने का अनुरोध किया था। लेकिन मना कर दिया गया। इसलिए ही हमें अनुरोध पत्र (एलआर) जारी कराना पड़ा था। अनुरोध पत्र पर कोई जवाब नहीं मिला है। हमने दूतावास (सिंगापुर स्थित) को इसे आगे बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें आशंका है कि बड़ी मात्रा में राशि इन खातों में भेजी गई होगी। वह हमें बैंक खातों तक पहुंच नहीं दे रहे हैं। वह एक विदेशी नागरिक हैं। उनकी पत्नी एक बेल्जियन नागरिक हैं। एक बार देश से चले जाने पर वह वापस नहीं आएंगे।’’

वहीं, मेहता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने रिकार्ड का हवाला देते हुए कहा कि वह जांच में सहयोग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं (मेहता) भारत में हूं और लंबे समय से घर से दूर हूं। सीबीआई ने झूठे आरोप लगाये हैं। हमने सदा सहयोग किया है। हम अधिकार पत्र देने को इच्छुक हैं लेकिन तब मुझे एक और साल भारत में रूकना पड़ेगा।’’

पीठ ने कहा कि मेहता को विदेश यात्रा देने का मतलब सीबीआई की अपील को बगैर सुनवाई के खारिज करना होगा।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘एक बार ऐसा कर देने पर, हम सीबीआई की विशेष अनुमति याचिका विषय की सुनवाई किये बगैर खारिज कर देंगे। ऐसा नहीं हो सकता।’’ उन्होंने यह भी कहा कि न्यायालय मेहता को अधिकार पत्र सीबीआई को देने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।

इससे पहले, शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि वह मेहता को हांगकांग की यात्रा की अनुमति देने वाले बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर 31 जनवरी को सुनवाई करेगा।

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश

 

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