थरूर ने विरासत कर मुद्दे पर भाजपा की आलोचना की |

थरूर ने विरासत कर मुद्दे पर भाजपा की आलोचना की

थरूर ने विरासत कर मुद्दे पर भाजपा की आलोचना की

:   Modified Date:  May 4, 2024 / 07:21 PM IST, Published Date : May 4, 2024/7:21 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने विरासत कर का मुद्दा उठाने के लिए भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस की घोषणापत्र समिति ने इस पर चर्चा तक नहीं की है, लेकिन आसन्न हार को देखते हुए सत्ताधारी पार्टी हर तरह का हथकंडा आजमा रही है।

थरूर लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र का मसौदा तैयार करने वाली समिति के सदस्य थे।

उन्होंने कहा कि 1985 में कांग्रेस के प्रधानमंत्री द्वारा विरासत कर को समाप्त किए जाने के बाद इस तरह के उपकर का विचार उछालने वाली एकमात्र पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) है।

विरासत कर पर कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा की टिप्पणी से उत्पन्न विवाद के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा, ‘मैं सैम पित्रोदा को एक बहुत सम्मानित अग्रज के रूप में जानता हूं, लेकिन वह भारत में रहते भी नहीं हैं। वह एक पहाड़ की चोटी पर बैठे गुरु की तरह हैं, लेकिन उनकी पर्वत चोटी शिकागो है, हिमालय नहीं।’

थरूर ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई’ के मुख्यालय में संपादकों के साथ बातचीत के दौरान कहा, ‘‘उन्हें (पित्रोदा) अपने व्यक्तिगत विचार व्यक्त करने का पूरा हक है, लेकिन कांग्रेस पार्टी जिस चीज पर यह चुनाव लड़ रही है वह एक घोषणापत्र है, जो एक प्रकाशित दस्तावेज है। मैं घोषणापत्र समिति का सदस्य था, इसलिए मैं आपको बता सकता हूं कि हमने कभी भी विरासत कर पर चर्चा नहीं की।’’

उन्होंने रेखांकित किया कि 1985 में कांग्रेस नेता एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विरासत कर को समाप्त कर दिया था।

थरूर ने कहा, ‘तथ्य यह है कि जब भाजपा ने संशयपूर्वक कहा कि उन्होंने (राजीव) अपनी विरासत को बचाने के लिए ऐसा किया, तो हम सटीक रूप से यह बताने में सक्षम थे कि कानून केवल 15 मार्च 1985 के बाद होने वाली मौतों से प्रभावी हुआ और इंदिरा जी की मृत्यु 1984 में हो गई थी।’

तिरुवनंतपुरम से सांसद ने कहा, ‘ऐसा इसलिए किया गया…क्योंकि मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में देखा है, अरबपति अपनी संपत्ति को इस तरह से प्रबंधित करने और ऐसा बताने में बहुत दक्ष हैं कि उनके पास अपने नाम पर बहुत कम संपत्ति है, और (तब) सरकार ने पाया कि संग्रह की लागत सरकार को आने वाले राजस्व से अधिक थी।’’

उन्होंने कहा कि 1985 में सरकार विरासत कर संग्रह के पूरे वर्ष में 20 करोड़ रुपये कमा रही थी और इस सब पर नजर रखने के लिए एक प्रतिष्ठान चलाने में कहीं अधिक खर्च कर रही थी।

थरूर ने कहा, ‘‘तो, इसे खत्म करना सही निर्णय था। एकमात्र पार्टी जिसने विरासत कर का विचार उछालने वाली पार्टी भाजपा है। 2019 में इसके वित्त मंत्री, वित्त राज्य मंत्री और अन्य अग्रणी लोगों ने कहा कि ‘क्या यह एक अच्छा विचार नहीं होगा’।’’

उन्होंने कहा कि इसे उनकी ही पार्टी के भीतर ही खारिज कर दिया गया, लेकिन सच्चाई यह है कि केवल भाजपा ने ही इस मुद्दे को उठाया है। थरूर ने कहा कि कांग्रेस का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘तो, उनके लिए इसे पलटना और हमारे खिलाफ इसका इस्तेमाल करना उनकी हताशा का एक और उदाहरण है… उन्हें एहसास है कि उनपर हार का खतरा मंडरा रहा है और वे कोई भी हथकंडा आजमाने की कोशिश कर रहे हैं।’’ थरूर ने भाजपा पर उन चीजों को ढूंढ निकालने का आरोप लगाया, जिन्हें कांग्रेस ने कभी अपने घोषणापत्र में शामिल ही नहीं किया। उन्होंने कहा कि ऐसी बातों से मतदाता प्रभावित नहीं होंगे।

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि सामान्य व्यक्ति वास्तव में अपनी संभावनाओं को बढ़ते हुए देखना चाहता है, उनकी जेब में हर महीने अधिक पैसा आए, उन्हें एक ऐसी नौकरी मिले, जो उन्हें वेतन दे। ये ऐसे मुद्दे हैं, जो वास्तव में मायने रखते हैं, न कि कोई ऐसी काल्पनिक धारणा कि क्या उनकी विरासत छीन ली जाएगी। हम किसी भी तरह उनकी विरासत छीनने नहीं जा रहे हैं।”

भाषा नेत्रपाल दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)