सोशल मीडिया यूजर्स हो जाएं सावधान! एक गलती पहुंचा सकती है जेल, यहां की हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश

Kerala High Court on Social Media: केरल हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसले मे कहा कि सोशल मीडिया पर की गई अपमानजनक टिप्पणी पर SC/ST एक्ट लागू होगा

सोशल मीडिया यूजर्स हो जाएं सावधान! एक गलती पहुंचा सकती है जेल, यहां की हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश
Modified Date: November 29, 2022 / 08:40 pm IST
Published Date: July 29, 2022 12:29 pm IST

केरल। Kerala High Court on Social Media: सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा एक्टिव रहने वाले लोगो के लिए ये खबर बेहद जरूरी है। केरल हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति के खिलाफ ऑनलाइन की गई अपमानजनक टिप्पणी करने पर SC/ST एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस फैसले के साथ कोर्ट ने एक यूट्यूबर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

हाईकोर्ट ने कहा कि जैसा कि डिजिटल युग में हो रहा है कि हर बार जब पीड़ित की अपमानजनक सामग्री तक पहुंच होती है तो ये माना जाएगा कि आपत्तिजनक टिप्पणी उसकी उपस्थिति में की गई थी। कोर्ट ने एक यूट्यूबर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला दिया, जिसने एसटी समुदाय की एक महिला के खिलाफ उसके पति और ससुर के एक इंटरव्यू के दौरान कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिसे यूट्यूब और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया साइटों पर अपलोड किया गया था।

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Kerala High Court on Social Media: गिरफ्तारी के डर से यूट्यूबर ने अग्रिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था। आरोपी ने तर्क दिया था कि पीड़िता इंटरव्यू के दौरान मौजूद नहीं थी, और इसलिए SC/ST एक्ट के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। वहीं, याचिका का विरोध करते हुए, अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि डिजिटल युग में, यह कहना कि पीड़ित को उपस्थित होना चाहिए, विसंगतिपूर्ण नतीजा देगा और यदि इस तरह के तर्क को अपनाया गया तो कानून बेमानी हो जाएगा।

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Kerala High Court on Social Media: पीड़ित के वकील ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि इंटरव्यू के लिखित पाठ का अवलोकन ही इस बात को मानने के लिए पर्याप्त है कि आरोपी जानबूझकर सार्वजनिक रूप से एक अनुसूचित जनजाति के सदस्य का अपमान कर रहा है। सभी पक्षों को सुनने के बाद, कोर्ट ने कहा कि इंटरव्यू के बयानों का अवलोकन कई मौकों पर ‘अपमानजनक’ शब्दों के इस्तेमाल का संकेत देता है और आरोपी ने पीड़ित को ST के रूप में भी संदर्भित किया, जिससे पता चलता है कि वह जानता था कि वह एक अनुसूचित जनजाति की सदस्य है।

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