(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि युद्ध के लिहाज से भविष्य में अंतरिक्ष क्षेत्र वायु, समुद्री और भूमि क्षेत्रों पर ‘‘अपना प्रभाव डालेगा।’’
बृहस्पतिवार को दिल्ली में तीन दिवसीय भारतीय रक्षा अंतरिक्ष संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में प्रसारित एक रिकॉर्डेड वीडियो संबोधन में जनरल चौहान ने यह भी कहा कि ‘‘अंतरिक्ष कूटनीति’’ जल्द ही वास्तविकता बन जाएगी।
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष समीर वी कामत और सशस्त्र बलों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी यहां मानेकशॉ सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए।
जनरल चौहान ने अपने संबोधन में भविष्य के युद्ध में अंतरिक्ष की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बारे में बात करूंगा कि हम अभी कहां हैं और हमें कहां जाना है।’’
सीडीएस ने कहा, ‘‘अंतरिक्ष को निर्णायक मोर्चा कहा जाता है। अंतरिक्ष का विस्तार अनंत है। अन्य सभी सीमाओं की तरह, इसकी सीमा को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना मुश्किल है। अंतरिक्ष के रहस्य को समझने के लिए मानव जाति को अभी लंबा रास्ता तय करना है। भारत उस यात्रा का हिस्सा बनना चाहता है।’’
उन्होंने भारत के गगनयान कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण ले रहे चार अंतरिक्ष यात्रियों के बारे में भी बात की। जनरल चौहान ने कहा, ‘‘अंतरिक्ष को युद्ध के उभरते हुए क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। मेरा मानना है कि यह पहले से ही युद्ध का एक स्थापित क्षेत्र है। मेरा विश्वास इस विशेष क्षेत्र में तेजी से बदल रहे घटनाक्रम पर आधारित है।’’
जनरल चौहान ने कहा कि युद्ध के इतिहास ने ‘‘हमें सिखाया है कि किसी भी युद्ध में प्रारंभिक स्पर्धा आम तौर पर एक नए क्षेत्र में होती है।’’ उन्होंने कहा कि नया क्षेत्र पुराने क्षेत्र की लड़ाइयों को भी प्रभावित करता है।
जनरल चौहान ने कहा, ‘‘शुरुआत में नौसैन्य शक्ति जमीनी लड़ाई को प्रभावित करने में सक्षम थी। बाद में, वायु शक्ति ने थल और जल में युद्ध को प्रभावित किया। यह मेरा विश्वास है कि अब, अंतरिक्ष वायु, समुद्री और भूमि क्षेत्र पर अपना प्रभाव डालेगा।’’
अंतरिक्ष को सबके लिए खुला बताते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘अंतरिक्ष में संप्रभुता की कोई अवधारणा नहीं हो सकती।’’
सीडीएस ने यह भी कहा कि ‘‘अंतरिक्ष कूटनीति जल्द ही एक वास्तविकता बन जाएगी।’’
जनरल चौहान ने कहा कि मित्र राष्ट्रों को अंतरिक्ष में सहयोग बढ़ाने के लिए पड़ोसी होना जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि दूरियां और भू-राजनीतिक अलगाव ‘‘रक्षा अंतरिक्ष सहयोग में फायदेमंद’’ हो सकते हैं।
भाषा आशीष मनीषा
मनीषा
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