अंडमान-निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव को जमानत देने के आदेश में हस्तक्षेप से शीर्ष न्यायालय का इनकार |

अंडमान-निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव को जमानत देने के आदेश में हस्तक्षेप से शीर्ष न्यायालय का इनकार

अंडमान-निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव को जमानत देने के आदेश में हस्तक्षेप से शीर्ष न्यायालय का इनकार

:   Modified Date:  August 25, 2023 / 10:20 PM IST, Published Date : August 25, 2023/10:20 pm IST

नयी दिल्ली, 25 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार के एक मामले में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को जमानत देने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति ए. अमानुल्लाह की पीठ ने निर्देश दिया कि निचली अदालत बिना किसी अनुचित स्थगन के मामले की सुनवाई तेजी से आगे बढ़ाएगी।

न्यायालय ने बृहस्पतिवार को अपना फैसला सुनाया, जिसे शुक्रवार को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।

पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला और उसके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह प्रशासन पर होगी।

शीर्ष अदालत ने नारायण को जमानत देने के कलकत्ता उच्च न्यायालय की पोर्ट ब्लेयर सर्किट पीठ के 20 फरवरी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।

इसने मामले में दो सह-आरोपियों, संदीप सिंह और ऋषिश्वर लाल ऋषि को जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेशों को चुनौती देने वाली केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन की याचिका को भी खारिज कर दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले और लागू होने वाले कानून पर विचार के बाद यह अदालत इस बात का संज्ञान लेती है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय (सर्किट बेंच, पोर्ट ब्लेयर) की खंडपीठ के 20 फरवरी, 2023 के फैसले में न तो तो वास्तविक मुद्दे से निपटा गया है, न ही उन कारणों को इंगित किया गया है जो उचित हैं और हमारे विचार में, जमानत देने या अस्वीकार करने के संबंध में व्यापक विचार की आवश्यकता है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि, हमने वकील की वृहद दलीलें सुनने के बाद गुण-दोष के आधार पर मामले के संदर्भ में स्वतंत्र रूप से विचार किया है। ऐसा करने के बाद, हमें आक्षेपित फैसलों में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आया।’’

पीठ ने उच्च न्यायालय द्वारा आरोपियों को जमानत देते समय उन पर लगाई गई शर्तों का उल्लेख किया।

नारायण को पिछले साल एक अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज होने के बाद 10 नवंबर को उस वक्त गिरफ्तार किया गया था, जब वह दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के रूप में तैनात थे। सरकार ने उन्हें पिछले साल 17 अक्टूबर को निलंबित कर दिया था।

भाषा सुरेश माधव

माधव

 

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