उच्चतम न्यायालय ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों की सुनवाई का दायरा बढ़ाया |

उच्चतम न्यायालय ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों की सुनवाई का दायरा बढ़ाया

उच्चतम न्यायालय ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों की सुनवाई का दायरा बढ़ाया

:   Modified Date:  April 23, 2024 / 06:30 PM IST, Published Date : April 23, 2024/6:30 pm IST

नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) पतंजलि आयुर्वेद मामले में अपनी सुनवाई का दायरा बढ़ाते हुए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एफएमसीजी कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों पर कड़ा रुख अपनाया और तीन केंद्रीय मंत्रालयों से जनता के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले इस तरह के चलन को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी।

योगगुरु रामदेव और उनके सहयोगी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के बालकृष्ण ने न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ को बताया कि उन्होंने भ्रामक विज्ञापनों पर 67 समाचार पत्रों में बिना शर्त सार्वजनिक माफी मांगी है और वे अपनी गलतियों के लिए बिना शर्त माफी मांगते हुए अतिरिक्त विज्ञापन भी जारी करना चाहते हैं।

पीठ ने कहा कि अखबारों में प्रकाशित सार्वजनिक माफी रिकॉर्ड पर नहीं है और यह दो दिन के भीतर दाखिल की जाए। इसने मामले में अगली सुनवाई के लिए 30 अप्रैल की तारीख निर्धारित की।

पतंजलि मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम तथा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के कार्यान्वयन और संबंधित नियमों की भी बारीकी से पड़ताल की जरूरत है।

इसने कहा कि यह मुद्दा केवल पतंजलि तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दैनिक उपभोग के सामान बनाने वाली (एफएमसीजी) सभी कंपनियों तक फैला हुआ है, जो ‘भ्रामक विज्ञापन जारी कर रही हैं और जनता को धोखा दे रही हैं तथा खासकर शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हैं जो उक्त गलत बयानी के आधार पर उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘हमें यह स्पष्ट करना चाहिए कि हम यहां किसी विशेष पार्टी या किसी विशेष एजेंसी या किसी विशेष प्राधिकारी के लिए बंदूक चलाने के लिए नहीं आए हैं। यह एक जनहित याचिका है और उपभोक्ताओं के व्यापक हित में जनता को पता होना चाहिए कि वह किस रास्ते पर जा रही है और उसे कैसे तथा क्यों गुमराह किया जा सकता है तथा अधिकारी इसे रोकने के लिए कैसे काम कर रहे हैं।

अदालत ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, सूचना एवं प्रसारण और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों से यह बताने को कहा कि उन्होंने उपभोक्ता कानूनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की है।

इसने आयुष मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों तथा आयुष के दवा नियंत्रकों को अगस्त 2023 में जारी किए गए उस पत्र पर केंद्र से स्पष्टीकरण भी मांगा जिसमें उनसे औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन नियम 1945 के नियम 170 के तहत कोई कार्रवाई न करने को कहा गया था।

पीठ ने पतंजलि विज्ञापन मामले में याचिकाकर्ता इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) से भी ‘अपना घर व्यवस्थित करने’ को कहा।

इसने कहा कि आईएमए के सदस्यों के कथित अनैतिक कृत्यों के बारे में कई शिकायतें की गई हैं जो अत्यधिक महंगी दवाएं और उपचार लिखते हैं।

पीठ ने अदालत को प्रभावी सहायता के लिए मामले में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) को भी प्रतिवादी बनाने का आदेश दिया।

शुरुआत में, रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि उन्होंने अपनी ओर से हुई ”गलतियों” के लिए सोमवार को बिना शर्त माफी मांगी है।

पीठ ने पूछा, ‘कहाँ? इसे दायर क्यों नहीं किया गया?’

रोहतगी ने कहा कि इसे सोमवार को देशभर के 67 अखबारों में जारी किया गया।

अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता से जब यह पूछा कि प्रतिवादियों ने सार्वजनिक माफी प्रकाशित करने से पहले पूरे एक सप्ताह तक इंतजार क्यों किया, रोहतगी ने कहा, ‘इसकी भाषा बदलनी पड़ी।’

इसने उनसे विज्ञापनों के आकार के बारे में भी पूछा।

अदालत ने रोहतगी से पूछा, ‘क्या यह उसी आकार का विज्ञापन है जो आप आम तौर पर अखबारों में जारी करते हैं?’

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘इसकी कीमत लाखों रुपये है।’’

पीठ ने आदेश दिया कि प्रकाशित माफी को रिकॉर्ड में दाखिल किया जाए। इसने कहा कि वह अखबारों में प्रकाशित वास्तविक विज्ञापन देखना चाहती है।

न्यायालय ने कहा, ‘उक्त विज्ञापन रिकॉर्ड पर नहीं हैं। यह प्रस्तुत किया गया है कि इन्हें एकत्र कर लिया गया है और पक्षों के वकील के लिए प्रतियों के साथ दिन के दौरान दाखिल किया जाएगा। पक्षों के वकीलों को प्रतियों के साथ दो दिन के भीतर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।’

वकील ने कहा कि रामदेव और बालकृष्ण द्वारा अपनी ओर से हुई गलतियों के लिए बिना शर्त माफी मांगते हुए अतिरिक्त विज्ञापन जारी किया जाएगा।

पीठ ने कहा कि औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम तथा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की पड़ताल करने के लिए तीन केंद्रीय मंत्रालयों को पक्षकार बनाना आवश्यक है।

इसने कहा कि ये मंत्रालय 2018 के बाद से प्रासंगिक डेटा के साथ इन कानूनों के दुरुपयोग/उल्लंघन को रोकने के लिए की गई कार्रवाई के बारे में हलफनामा दायर करेंगे।

पीठ ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को भी मामले में सह-प्रतिवादी के रूप में शामिल किया जाएगा।

न्यायालय ने आईएमए के वकील से कहा कि जब वे पतंजलि पर उंगलियां उठा रहे हैं, तो ‘अन्य चार उंगलियां आप (आईएमए) पर भी उठ रही हैं।’

न्यायालय ने रामदेव और बालकृष्ण को 16 अप्रैल को हिदायत दी थी कि वे ‘‘एलोपैथी को नीचा दिखाने’’ का कोई प्रयास नहीं करें। न्यायालय ने उन्हें पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापन के मामले में एक सप्ताह के भीतर ‘सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और पछतावा प्रकट करने’ की अनुमति दी थी।

शीर्ष अदालत 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कोविड टीकाकरण और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है।

रामदेव और बालकृष्ण ने अपने उत्पादों की औषधीय प्रभावकारिता के बारे में बड़े-बड़े दावे करने वाले विज्ञापनों को लेकर पूर्व में शीर्ष अदालत के समक्ष ‘बिना शर्त माफी’ मांगी थी।

भाषा

नेत्रपाल माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)