नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष बुधवार को एक जनहित याचिका में गणतंत्र दिवस समारोह में प्रदर्शन के लिए राजस्थान से राष्ट्रीय राजधानी में ऊंटों के अवैध परिवहन का आरोप लगाया गया।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें आरोप लगाया गया है कि जानवरों को लाने-ले जाने के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या केंद्र सरकार के परिपत्र के तहत ऊंटों को लाने-ले जाने वाले वाहनों के आकार और संरचना के बारे में जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना अनिवार्य है या यह केवल एक सलाह है।
पीठ ने मामले को आगे 28 फरवरी के लिए सूचीबद्ध किया है।
संगठन ‘स्काउट्स एंड गाइड्स फॉर एनिमल्स एंड बर्ड्स’ की याचिका में आरोप लगाया गया है कि 26 जनवरी के आयोजन के लिए दिल्ली में वाहनों में ऊंटों के अवैध परिवहन के संबंध में कोई भी कदम उठाने में अधिकारी विफल रहे हैं।
याचिका में कहा गया कि इस ‘परंपरा’ के कारण हर साल राजस्थान से ऊंटों को अवैध रूप से दिल्ली लाया जाता है। इसके अलावा, यह एक विशेष जानवर के प्रति क्रूरता का मामला है। पशु क्रूरता निवारण कानून, 1960 के प्रावधानों और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत सभी प्रतिवादी ऊंटों के हितों की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए कर्तव्य से बंधे हैं। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंकुर भसीन पेश हुए।
याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ता के सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन पर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय से 30 सितंबर 2021 को प्राप्त जवाब के अनुसार सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने साफ तौर पर माना है कि जानवरों को उन वाहनों में नहीं ढोया जा सकता है जिन्हें अन्य सामान ले जाने के लिए अनुमति मिली हुई है।
याचिका में आरोप लगाया गया कि कार्रवाई न केवल मोटर वाहन कानून और पशु क्रूरता निवारण कानून का उल्लंघन है, बल्कि इससे जानवरों के मूल्यवान अधिकारों का भी हनन होता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि किसी भी प्राधिकार ने इस तरह के किसी भी उल्लंघन के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया है।
याचिका में कहा गया, ‘‘26 जनवरी को राजपथ, इंडिया गेट पर गणतंत्र दिवस परेड में प्रदर्शन के उद्देश्य के लिए ऊंट और अन्य जानवरों के परिवहन का कार्य स्थापित कानून का उल्लंघन है जिसे इस अदालत द्वारा अनियंत्रित नहीं छोड़ा जा सकता है क्योंकि कोई कार्रवाई नहीं होने से जानवरों के मौलिक अधिकारों से समझौता होगा।’’
भाषा आशीष अनूप
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