No system for disposal of fecal sludge : जयपुर – प्रदेश के 97 से अधिक शहरों में घरों के शौचालयों से निकले फीकल स्लज के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं हैं। फीकल स्लज खुले में फेंकने से पर्यावरण तो प्रदूषित हो ही रहा है, साथ ही भूजल और संक्रमण भी बढ़ रहा है। इसे रोकने के लिए राज्य की गहलोत सरकार ने अब 793 करोड़ की योजना तैयार की है, जिस पर जल्द काम शुरू किया जाएगा। दरअसल, स्वायत्त शासन विभाग ने चार साल पहले नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर अर्बन अफेयर्स और सीडीडी सोसायटी की ओर से एक रिपोर्ट तैयार कराई थी, ताकि इन शहरों की मौके की वास्तविक स्थिति पता करने के साथ ही समस्या का भी समाधान निकाला जा सके। >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
No system for disposal of fecal sludge : रिपोर्ट में 100 से अधिक शहरों में फीकल स्लज के निर्धारित स्थान पर निस्तारण की व्यवस्था नहीं होने से इसे खाली भूमि, नदी, तालाब और नालों में डाला जा रहा है। इसमें से तीन प्लांट्स लालसोठ, सांभर फुलेरा, सीकर में आरयूआईडीपी की तरफ से पहले ही लगाए जा चुके हैं। बाकी बचे 97 प्लांट्स लगाने के लिए मुख्यमंत्री ने बजट में घोषणा की थी। इसको अमलीजामा पहनाने के लिए विभाग ने योजना तैयार की है।
No system for disposal of fecal sludge : सादड़ी, रानी, शिवगंज, भीनमाल, सांचौर, पीपाड़ सिटी, बिलारा, सोजत, मेड़ता सिटी, डेगाना, परबतसर, सागवाड़ा, सलूंबर, नोहर, संगरिया, रावतसर, अनूपगढ़, केसरीसिंहपुर, श्रीडूंगरपुर, राजगढ़, राजलदेसर, तारानगर, बिदासर, छबड़ा, अंता, रामगंज मंडी, लाखेरी, इटावा, सुल्तानपुर, केकड़ी, विजयनगर, निवाई, गुलाबपुरा, मांडलगढ़, आसींद, बयाना, रूपवास, राजाखेड़ा, कोटपूतली, चाकसू, किशनगढ़ रेनवाल, खैरथल, थानागाजी, बहरोड, उदयपुरवाटी, पिलानी-विद्याविहार, बग्गड़, श्रीमाधोपुर और लोसल सरवाड़, खेरली, राजगढ़, किशनगढ़बास, मंगरोल, देशनोक, भुसावर, कुम्हेर, श्रीविजयनगर, विराटनगर, फलौदी, मुकुंदगढ़, सूरजगढ़, इटावा, सांगोद, कुचरो, मुंडवा, नांवा, बाली, फालना, तख्तगढ़, पिंडवाड़ा, रींगस, खाटूश्यामजी, देवली, मालपुरा, टोडारायसिंह, परतापुरगढ़ी, महुवा, पोकरण, अकलेरा, टोडाभीम, छोटी सादड़ी, आमेट और देवगढ़ शामिल हैं।
No system for disposal of fecal sludge : आमतौर पर घरों से निकलने वाले स्लज को ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाने के लिए सीवर लाइन डाली जाती है, लेकिन निर्धारित मानकों के अनुसार यह सिस्टम उन्हीं शहरों में लागू किया जा सकता है, जहां पेयजल की आपूर्ति 135 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति से अधिक हो। सीवर लाइन में स्लज के ट्रीटमेंट प्लांट तक जाने के लिए इतने पानी की जरूरत है। ऐसे शहर जिनमें इस मानक से कम पानी की आपूर्ति होती है, वहां सीवर लाइन सिस्टम संभव नहीं हैं। इसी कारण ऐसे शहरों के लिए फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट का सिस्टम विकसित किया जाता है। इस सिस्टम की लागत सीवरेज सिस्टम से करीब दस गुना कम होती है।
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