बरुण सखाजी. सह-कार्यकारी संपादक, आईबीसी24
दुनियाभर के दर्शन, संस्कृति और मानविकी व्यवस्थाओं पर लगातार बोलने वाले डॉ. हिमत्त सिंह सिन्हा का दुनिया से कूच दुखी करने वाला है। 1928 में जन्मे सिन्हा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा में 30 सालों तक दर्शन विभाग के मुखिया रहे। सिन्हा को मैंने यूट्यूब पर सुनना शुरू किया तो लगा यहां सारी जिज्ञासाओं के जवाब मिल सकेंगे। तटस्थ, सटीक, स्पष्ट व्याख्याओं के साथ भरपूर गति से अपनी बात को कहने का हुनर हमारे बीच नहीं है। डॉ. सिन्हा दर्शन, संस्कृति की व्याख्याओं के मामले में यूट्यूब पर दूसरे ऐसे लोकप्रिय व्यक्ति थे, जिनके वीडियो लाखों में देखे जाते थे। यूट्यूब पर दर्शन पर सबसे ज्यादा प्रचलित वीडियो ओशो के हैं। सिन्हा का 8 फरवरी को निधन हो गया। वे 94 वर्ष के थे।
राजस्थान, यूपी की राज्य सेवा आयोगों के वे चेयरपर्सन भी रहे हैं। उनका पूरा जीवन संघ, संगठन और राजनीति से समानांतर दूरी बनाकर अपनी बात रखने पर केंद्रित था। सांस्कृतिक विषयों पर गहराई से चिंतन करने वाले सिन्हा का दुनिया से जाना अपूर्णीय क्षति है। इसका अहसास आज नहीं होगा। आशा ही कि उनके छात्र उनकी स्पीच, लेखन को संकलित करके दुनिया तक जरूर पहुंचाएंगे।
सिन्हा के बौद्धिक, व्यवहारिक दायरे को इस बात से भी समझा जा सकता है कि आज जब मैं यह रिक्तिभाव लिख रहा हूं तो कलम कांप रही है। भावनाओं से ज्यादा बुद्धि का वेग है। चूंकि वे हमेशा अपनी बात को तर्कों, संदर्भों और प्रसंगों से सही ढंग से मिलाप करके ही कहते थे।
आज के इस दौर में जब हमे तटस्थ, स्पष्ट और निष्पक्ष आवाज की रिक्ति दिखाई देती है तब सिन्हा के विचार अमर नजर आते हैं। किंतु बंटे, विभाजित समाज में अब सिन्हा नहीं हैं। संभव है शायद मीडिया की सुर्खियां भी न मिल पाएं, क्योंकि वे थे ही ऐसा गुड़ का ढेला जो जितना घुलता जाता है उतनी मिठास पैदा करता जाता है। उन्हें तुरंत में नहीं समझा जा सकता। वे सदियों को जीतकर जीने वाली आत्मा थे। आपकी व्याख्याएं अमर रहेंगी सर। नमन।
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