उन्नाव बलात्कार कांड : कुलदीप सेंगर की सजा निलंबित करने से अदालत का इनकार |

उन्नाव बलात्कार कांड : कुलदीप सेंगर की सजा निलंबित करने से अदालत का इनकार

उन्नाव बलात्कार कांड : कुलदीप सेंगर की सजा निलंबित करने से अदालत का इनकार

:   Modified Date:  June 7, 2024 / 07:42 PM IST, Published Date : June 7, 2024/7:42 pm IST

नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में पूर्व भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर को दी गई 10 साल की जेल की सजा निलंबित करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने दोषसिद्धि के खिलाफ अपील के लंबित रहने के दौरान सजा को निलंबित करने संबंधी सेंगर की याचिका को खारिज कर दिया।

अदालत ने कहा, ‘यह अदालत इस चरण में सजा को निलंबित करने संबंधी मौजूदा याचिका स्वीकार करने की इच्छुक नहीं है। तदनुसार, वर्तमान अर्जी खारिज की जाती है।’’

सेंगर ने इस आधार पर अपनी सजा निलंबित करने का अनुरोध किया था कि वह पहले ही लगभग छह साल की सजा काट चुका है और उसके खिलाफ अभियोजन पक्ष का मामला पूरी तरह से पारिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है।

हालांकि, न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि एक बार जब आरोपी को दोषी करार दे दिया जाता है, तो उसकी बेगुनाही की अवधारणा समाप्त हो जाती है और सजा के निलंबन के लिए उसके आवेदन पर उसकी भूमिका, अपराध की गंभीरता आदि के प्रथम दृष्टया दृष्टिकोण के आधार पर विचार किया जाना चाहिए और जेल में बिताई गई अवधि इन कई कारकों में से केवल एक है।

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सजा के निलंबन के मुद्दे पर फैसला करते समय अपराध की प्रकृति, दोषी के आपराधिक इतिहास, जनता के विश्वास पर असर और पीड़ितों को खतरे जैसे कारकों को भी ध्यान में रखना होगा।

इसने कहा कि सेंगर को पहले ही मृतक व्यक्ति की नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार करने का दोषी ठहराया जा चुका है और उस मामले में उसे शेष जीवन के कारावास की सजा सुनाई गई है।

उन्नाव बलात्कार से संबंधित मुख्य मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील पहले से ही उच्च न्यायालय में लंबित है। सेंगर ने निचली अदालत के 16 दिसंबर, 2019 के फैसले को रद्द करने की मांग की है, जिसमें उसे बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था।

सेंगर ने 20 दिसंबर, 2019 को उसे शेष जीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के आदेश को भी रद्द करने की मांग की है।

भाषा सुरेश नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)