Unseasonal rain became a disaster for the farmers,

किसानों के लिए आफत बनी बेमौसम बारिश, सीएम ने अधिकारियों को दिए निर्देश

rain became a disaster for farmers : मानसून के मौसम में सूखे के हालात और पिछले महीने शुरू हुआ बेमौसम बारिश का सिलसिला उत्तर प्रदेश के

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:36 PM IST, Published Date : October 9, 2022/12:49 pm IST

लखनऊ : rain became a disaster for farmers : मानसून के मौसम में सूखे के हालात और पिछले महीने शुरू हुआ बेमौसम बारिश का सिलसिला उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए आफत लेकर आया है। गलत समय पर हो रही बारिश से किसानों को भारी नुकसान हुआ है और उनके सामने अनिश्चितता का अंधकार छा गया है।

यह भी पढ़े : नक्सलियों ने पूर्व उपसरपंच को मारी गोली, वारदात से ग्रामीणों में दहशत

rain became a disaster for farmers : भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, “उत्तर प्रदेश के 75 में से 67 जिलों में पिछले हफ्ते अत्यधिक वर्षा हुई है। मॉनसून के मौसम यानी जून-जुलाई में बारिश लगभग न के बराबर होने से फसल चक्र पहले से ही अव्यवस्थित हो गया था और अब सितंबर-अक्टूबर में अत्यधिक बारिश के कारण रही-सही फसलें भी बर्बाद होने से किसान और भी ज्यादा परेशान हो गए हैं।”

यह भी पढ़े : Holiday declared in schools : प्रदेश में बारिश का सिलसिला जारी, अगले दो दिनों तक स्कूलों में अवकाश घोषित, प्रशासन ने जारी किया आदेश 

rain became a disaster for farmers : हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को सूखा और बाढ़ से प्रभावित किसानों को राहत देने के संबंध में कुछ निर्देश जारी किए हैं, लेकिन कई काश्तकारों का मानना है कि यह राहत देर से आने वाली नाकाफी मदद साबित हो सकती है। सितंबर और अक्टूबर में बेमौसम बारिश की वजह से जहां क‍ई शहरी इलाकों में लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ा है, वहीं सबसे ज्यादा चोट किसानों को पहुंची है। बारिश के कारण लाखों हेक्टेयर कृषि भूमि पानी में डूब गई है, जिससे धान, मक्का और आलू की फसलों को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा, बाजरा और उड़द की फसलों पर भी बुरा असर पड़ा है।

यह भी पढ़े : Month Of Sex: साल के इस महीने में सबसे ज्यादा ‘Sex’ करते हैं कपल्स, जानें वजह 

rain became a disaster for farmers : इटावा के आलू उत्पादक किसान सुरेंद्र पाठक ने कहा, “हमने सितंबर के अंत में आलू की जल्द बोई जाने वाली प्रजाति की बुवाई की थी, लेकिन भारी बारिश के कारण सात हेक्टेयर क्षेत्र में लगी हमारी आलू की फसल पर बुरा असर पड़ा है।” पाठक ने कहा, “खेतों में पानी भर गया है, जिसकी वजह से आलू के कंद सड़ गए हैं। अगर ऐसे ही बारिश जारी रही तो आलू की बाद वाली प्रजाति की बुवाई करना मुश्किल हो जाएगा। इटावा में अक्टूबर के पहले सप्ताह में 81 मिलीमीटर औसत बारिश दर्ज की गई, जो दीर्घकालिक औसत (एलपीए) यानी 8.3 मिलीमीटर से 876 फीसदी ज्यादा है।

यह भी पढ़े : आंगनबाड़ी सहायिका के पद पर निकली बंपर भर्ती, 8वीं पास महिलाएं भी कर सकेंगी आवेदन

rain became a disaster for farmers : उधर, गोंडा में इसी अवधि में 248.6 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई, जो एलपीए यानी 25.3 मिलीमीटर से 883 प्रतिशत अधिक है। गोंडा के सीमांत किसान प्रभात कुमार बारिश के मौजूदा दौर को देखते हुए अपनी धान की फसल को लेकर परेशान हैं। वह अपनी व्यथा बताते हुए कहते हैं, “पिछले दिनों भारी बारिश की वजह से मेरी धान की खड़ी फसल लेट गई। मुझे डर है कि मेरी आधी फसल बर्बाद हो चुकी है और अगर आने वाले दिनों में मौसम साफ नहीं हुआ तो रही-सही फसल भी नष्ट हो जाएगी।”

यह भी पढ़े : जेपोरीजिया में फिर से अटैक, 17 लोगों की गई जान, राष्ट्रपति ने कही ये बात… 

rain became a disaster for farmers : जिला स्तरीय अधिकारी राज्य सरकार के निर्देश पर भारी बारिश के कारण फसलों को पहुंचे नुकसान के आकलन के लिए सर्वे करा रहे हैं। प्रदेश के राहत आयुक्त प्रभु नारायण सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में एलपीए की तुलना में काफी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। हमने सभी जिलों के अधिकारियों से बारिश के कारण फसलों पर पड़ने वाले प्रभावों से संबंधित डेटा उपलब्ध कराने को कहा है।”

यह भी पढ़े : गंगरेल बांध का होगा कायाकल्प, आइलैंड को किया जाएगा विकसित, राम वन गमन पथ पर मिलेगी ठहरने की सुविधा

rain became a disaster for farmers : सिंह ने बारिश के कारण प्रदेश में फसलों को हुए कुल नुकसान के पैमाने के बारे में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने कहा, “एक बार डेटा सामने आ जाए तो हम नुकसान के बारे में कुछ कह पाने की बेहतर स्थिति में होंगे। यह डेटा अगले हफ्ते तक मिल जाने की संभावना है। हालांकि, जिलों में प्रशासन से कहा गया है कि वह किसानों को हुए नुकसान के एवज में सहायता उपलब्ध कराने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए।”

यह भी पढ़े : मलद्वार में फंस गई ऐसी चीज कि टॉयलेट भी नहीं कर पा रहा था युवक, कर रहा था ये काम, जानकर डॉक्टर भी रह गए हैरान

rain became a disaster for farmers : प्रदेश में बारिश के मौजूदा दौर से हालात अजीबोगरीब हो गए हैं। प्रदेश सरकार राज्य में पिछले महीने की शुरुआत तक जहां मानसून में बारिश न होने से फसलों को हुए नुकसान के आंकड़े जुटा रही थी, वहीं अब अत्यधिक बारिश से हो रहे नुकसान का डेटा इकट्ठा किया जा रहा है। आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में एक जून से 30 सितंबर तक मानसून सत्र में लगभग 30 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई थी। राज्य के 75 जिलों में से 53 में औसत से कम वर्षा के कारण खरीफ की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा था।

यह भी पढ़े : मटके का पानी पीने से मिलते है गजब के फायदे, कई गंभीर बीमारियों से मिलता है छुटकारा, जानें क्या-क्या है लाभ 

rain became a disaster for farmers : शाहजहांपुर जिले के किसान प्रीतम पाल सिंह कहते हैं, “मेरे लिए यह अब तक का सबसे दयनीय दौर साबित हो रहा है। यह दौर तो कोरोना महामारी से भी ज्यादा बुरा है। इस बार कम बारिश होने की वजह से मैं धान की आधी फसल ही बो पाया था। अब बेमौसम भारी बारिश की वजह से उस पर भी खतरा मंडरा रहा है।” सिंह ने कहा, “इस साल लगभग सभी किसान कमजोर मानसून का शिकार हुए हैं। लघु और सीमांत किसानों पर सबसे ज्यादा चोट हुई है। सरकार को उनकी मदद के लिए कुछ सार्थक कदम उठाने चाहिए।”

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

 
Flowers