हैदराबाद, 14 मई (भाषा) उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को देश में कृषि अनुसंधान की गुणवत्ता और क्षमता बढ़ाने का आह्वान किया, ताकि आने वाले समय में कृषि-उत्पादकता में पर्याप्त लाभ हासिल किया जा सके।
नायडू ने कहा कि भारतीय कृषि अब एक महान संक्रमण के दौर से गुजर रही है और गुणवत्ता वाले पानी की उपलब्धता कम होना, मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी, जलवायु परिवर्तन, नए कीटों और बीमारियों का उद्भव, खेतों का टुकड़ों में विभाजित होना और बाजार की अनिश्चितता कुछ ऐसे बदलाव हैं, जिसके कारण आने वाले वर्षों में कृषि अनुसंधान का कार्य और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा।
नायडू ने कहा, ‘‘कृषि को प्रभावित करने वाले ये परिवर्तन हमारे अनुसंधान दृष्टिकोण में एक आदर्श बदलाव की मांग करते हैं। हमें आधुनिक विज्ञान की क्षमता का दोहन करना है, प्रौद्योगिकी में नवाचारों को प्रोत्साहित करना है, और निवेश का समर्थन करने के लिए सक्षम नीतियां प्रदान करना है। हमें जीनोमिक्स, आणविक प्रजनन और नैनो प्रौद्योगिकी एवं अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में गंभीरता से निवेश करना शुरू करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि देश में कृषि अनुसंधान संस्थानों को अपने प्रयासों को दोगुना करना चाहिए और इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तकनीकी नवाचार, मानव संसाधन और विस्तार सेवाओं में उत्कृष्टता का लक्ष्य रखना चाहिए।
वह यहां आईसीएआर-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी (एनएएआरएम) के कृषि-व्यवसाय प्रबंधन कार्यक्रम के एक समारोह में बोल रहे थे।
उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों से छात्रों को गांवों का दौरा करने और मौके पर पहुंचकर वास्तविक कृषि मुद्दों की पहचान के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘लैब टू लैंड’ के नारे को आत्मसात करना चाहिए, ताकि किसानों को शोध का लाभ पहुंचाया जाए, और उनके उत्पादन एवं आय बढ़े।’’
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सुरेश माधव
माधव
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