जम्मू कश्मीर में मतदान प्रतिशत 35 साल में सर्वाधिक, निर्वाचन आयोग ने शीघ्र चुनाव का संकेत दिया |

जम्मू कश्मीर में मतदान प्रतिशत 35 साल में सर्वाधिक, निर्वाचन आयोग ने शीघ्र चुनाव का संकेत दिया

जम्मू कश्मीर में मतदान प्रतिशत 35 साल में सर्वाधिक, निर्वाचन आयोग ने शीघ्र चुनाव का संकेत दिया

:   Modified Date:  May 27, 2024 / 06:36 PM IST, Published Date : May 27, 2024/6:36 pm IST

नयी दिल्ली, 27 मई (भाषा) निर्वाचन आयोग (ईसी) ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव के दौरान पिछले 35 साल में सर्वाधिक मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया। आयोग ने कहा कि वर्ष 2019 के आम चुनाव के मुकाबले इस साल के लोकसभा चुनाव में 30 अंक की भारी बढ़ोतरी के साथ सभी पांच लोकसभा सीट के लिए कुल मतदान प्रतिशत 58.46 दर्ज किया गया।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने कहा कि वर्ष 2019 की तुलना में प्रत्याशियों की संख्या में 25 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।

राजीव कुमार ने मतदान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘यह सक्रिय भागीदारी जल्द ही होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए एक बड़ी सकारात्मक बात है ताकि केंद्र शासित प्रदेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया जारी रहे।’’

आयोग ने यह भी कहा कि पांच लोकसभा सीट वाले पूरे केंद्र शासित प्रदेश के मतदान केंद्रों पर संयुक्त मतदान प्रतिशत 58.46 रहा।

सीईसी कुमार ने शनिवार को ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा था कि लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर के मतदान प्रतिशत से उत्साहित आयोग ‘बहुत जल्द’ केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करेगा।

कश्मीर घाटी की तीन लोकसभा सीट श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग-राजौरी सीट पर क्रमश: 38.49 फीसदी, 59.1 फीसदी और 54.84 फीसदी मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया। इन तीन लोकसभा सीट के लिए कुल 50.86 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया।

केंद्रशासित प्रदेश की अन्य दो सीट उधमपुर और जम्मू में मतदान प्रतिशत क्रमश: 68.27 फीसदी और 72.22 फीसदी रहा।

जम्मू-कश्मीर में जब भी कोई विधानसभा चुनाव होगा तो वह अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और इस पूर्व राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद पहला विधानसभा चुनाव होगा। जम्मू-कश्मीर से अलग करके बनाए गए केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में लोकसभा की एक सीट है।

परिसीमन की कवायद के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीट की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है और इस संख्या में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लिए आवंटित सीट शामिल नहीं हैं।

भाषा

संतोष अविनाश

अविनाश

 

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