पश्चिम बंगाल : भाजपा अंतर्कलह के बीच घटते जनाधार की समस्या से जूझ रही |

पश्चिम बंगाल : भाजपा अंतर्कलह के बीच घटते जनाधार की समस्या से जूझ रही

पश्चिम बंगाल : भाजपा अंतर्कलह के बीच घटते जनाधार की समस्या से जूझ रही

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:20 PM IST, Published Date : April 23, 2022/7:58 pm IST

(प्रदीप्त तापदार)

कोलकाता, 23 अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हार के करीब एक साल बाद भाजपा की राज्य इकाई घटते जनाधार के बीच खुद को एकजुट रखने के लिए संघर्ष कर रही है, जो तब से अबतक हुए चुनावों में मिली हार से प्रतिबिंबित होती है।

भाजपा की राज्य इकाई पिछले साल हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद से उठापटक का सामना कर रही है, जो अब भी विधानसभा चुनाव में मिली हार से उबरने की कोशिश कर रही है। पार्टी के कई नेता राज्य नेतृत्व की कार्यशैली को लेकर या तो चिंता व्यक्त कर रहे हैं या शिकायत कर रहे हैं।

भाजपा का शीर्ष नेतृत्व लगातार राज्य इकाई को एकजुट करने का प्रयास कर रहा है और अब सभी की नजरें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की संभावित पश्चिम बंगाल यात्रा पर है, जिन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान बंगाल में भाजपा के लिए राह बनाने की रूपरेखा तैयार की थी।

भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जो भी हो रहा है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे हम सभी के लिए असहज स्थिति उत्पन्न हुई है। पार्टी नेतृत्व इस मामले को देख रहा है और सभी समस्याओं के समाधान का प्रयास कर रहा है।’’

भाजपा विधानसभा चुनाव के बाद से ही पार्टी नेताओं के पलायन का सामना कर रही है और बाबुल सुप्रियो और मुकुल रॉय सहित कई शीर्ष नेता और विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। आंतरिक बगावत का पार्टी में यह स्तर है कि राज्य इकाई के प्रमुख सुकांत मजूमदार ने पार्टी सदस्यों से अपील की है कि वे मीडिया से बात करने की जगह अपनी शिकायतों के साथ उनसे संपर्क करें।

हाल में पार्टी के भीतर आत्ममंथन की अपील करने वाले भाजपा के राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ राज्य संगठन का प्रभार संभाल रहे हैं लोगों के खिलाफ शिकायतें हैं। यहां नेतृत्व लोकतांत्रिक तरीके से काम नहीं कर रहा है और अनुभवी नेताओं को किनारे लगाने की कोशिश कर रहा है। नए प्रदेश अध्यक्ष भी स्थिति को संभालने में असफल हैं।’’

इसी प्रकार की राय पहचान गुप्त रखने की शर्त पर भाजपा के एक राज्य महासचिव ने भी रखी। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप बीमारी का पता नहीं लगाएंगे और स्वीकार नहीं करेंगे तो कैसे उसका इलाज करेंगे? यह दिखाना की सब कुछ ठीक है, यह स्वप्नलोक में रहने जैसा है।’’

भाजपा के मत प्रतिशत में गिरावट का दौर भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव से शुरू हुआ। जहां पार्टी को मई 2021 में कुल 35 प्रतिशत मत मिले थे, जो अक्टूबर 2021 में घटकर 22 प्रतिशत पर आ गया और तब से यह सिलसिला जारी है।

कोलकाता नगर निगम के चुनाव पिछले साल दिसंबर में हुए थे और उसमें भाजपा को करीब 20 प्रतिशत मत मिले, जबकि इन्ही इलाकों में विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी को कुल 29 प्रतिशत वोट मिले थे।

महज दो महीने बाद 108 अन्य नगर निकायों के चुनाव कराए गए जिनमें भाजपा को केवल 12.57 प्रतिशत मत मिले और पार्टी किसी भी नगरपालिका में जीत हासिल करने में असफल रही, जबकि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को इन्हीं क्षेत्रों में 36 प्रतिशत मत मिले थे।

हाल में आसनसोल लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा कर लिया और बालीगंज विधानसभा सीट पर उपचुनाव में वाम मोर्चा दूसरे स्थान पर रहा, जो बंगाल में भाजपा के प्रदर्शन में गिरावट को ही दर्शाता है।

भाजपा के सूत्रों ने बताया कि रितेश तिवारी, जय प्रकाश मजूमदार और सायंतन बसु जैसे नेताओं को नए पदाधिकारियों की सूची से हटाए जाने के बाद आंतरिक बगावत और बढ़ी है।

भाजपा की राज्य इकाई के सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय पर्यवेक्षक की प्रतिबद्धता की कमी ने भी संकट को बढ़ाया है क्योंकि वर्ष 2015 से ही बंगाल में भाजपा के प्रभारी रहे पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद से परिदृश्य में कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं।

राज्य के एक अन्य भाजपा नेता ने कहा, ‘‘कैलाश जी पश्चिम बंगाल में पार्टी के मामलों में कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं। राज्य के नेताओं को नहीं पता कि वे अपनी समस्याओं के लिए किससे संपर्क करें।’’

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष, जिनके राज्य इकाई के अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल को सबसे सफल माना जाता है। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी सुकांत मजूमदार पर पार्टी मामलों के प्रबंधन में ‘‘ अनुभवहीन होने ’’को लेकर निशाना साधा है।

मजूमदार ने अपनी आलोचनाओं पर टिप्पणी करने से इंकार किया है।

भाजपा की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष रथिन चक्रवर्ती ने हालांकि कहा कि पार्टी में ‘‘कुछ छोटे मुद्दे’’ हैं, जिनका जल्द समाधान कर लिया जाएगा।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जब भी पार्टी बढ़ती है, ऐसे मुद्दे आते हैं। सभी मुद्दों का जल्द समाधान कर लिया जाएगा। भाजपा की राज्य इकाई एकजुट परिवार है।’’

राजनीतिक विश्लेषक सुमन भट्टाचार्य का मानना है कि भाजपा अपनी गिरावट को रोक नहीं पाएगी, क्योंकि उसने ‘‘अपना अपनी पकड़ खो दी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ भाजपा का विकास प्राकृतिक नहीं था। चूंकि वह विधानसभा चुनाव में असफल रही, इसलिये उसमें जो गिरावट शुरू हुई वह जारी रहेगी । जबतक पार्टी जमीन से जुड़े अपने मजबूत नेता को आगे नहीं बढ़ाती है, तब तक स्थिति नहीं सुधरेगी।’’

उनका समर्थन करते हुए राजनीति विज्ञानी विश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा कि जन आंदोलन के अभाव में पार्टी अपनी पकड़ खो रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी राजनीतिक पार्टी जन आंदोलन से विकास करती है। भाजपा अन्य पार्टियों के नेताओं को शामिल कर बढ़ी। जबतक वे राज्य और स्थानीय स्तर पर जन आंदोलन नहीं करते, तबतक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा।’’

भाषा धीरज दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)