ल्यूपस से पीड़ित महिलाओं के गर्भधारण से पहले दवाओं में बदलाव करने की आवश्यकता : चिकित्सक |

ल्यूपस से पीड़ित महिलाओं के गर्भधारण से पहले दवाओं में बदलाव करने की आवश्यकता : चिकित्सक

ल्यूपस से पीड़ित महिलाओं के गर्भधारण से पहले दवाओं में बदलाव करने की आवश्यकता : चिकित्सक

:   Modified Date:  March 31, 2024 / 02:37 PM IST, Published Date : March 31, 2024/2:37 pm IST

नयी दिल्ली, 31 मार्च (भाषा) ल्यूपस बीमारी से पीड़ित महिलाएं सुरक्षित गर्भधारण कर सकती है और अपने नवजात शिशु को स्तनपान भी करा सकती है लेकिन उन्हें चिकित्सकों से विचार-विमर्श कर गर्भधारण की योजना बनाने की जरूरत है ताकि उनकी दवाओं में पहले ही बदलाव किया जा सके। यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी।

सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (एसएलई) या ल्यूपस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही ऊतकों और अंगों पर हमला करती है (जिसे ऑटोइम्यून बीमारी कहा जाता है)। यह ज्यादातर महिलाओं को उनकी प्रजनन आयु के दौरान प्रभावित करती है। यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है और अगर इसका इलाज न कराया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है।

दिल्ली स्थित एम्स के रूमेटोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. रंजन गुप्ता ने कहा कि गर्भधारण अस्पताल में आने वाली ल्यूपस मरीजों के बीच चिंता की प्रमुख वजह है क्योंकि ज्यादातर महिलाएं प्रजन्न आयु की हैं।

डॉ. गुप्ता ने कहा कि प्रमुख समस्या यह है कि एसएलई के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं गर्भधारण के दौरान लेने पर बच्चों में विकृति पैदा कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए बिना योजना बनाए गर्भधारण इन मरीजों के लिए शारीरिक और भावनात्मक चुनौती हो सकती है।

उन्होंने एम्स में एक कार्यक्रम से इतर कहा, ‘‘वहीं, अगर बीमारी की स्थिति के अनुसार रूमेटोलॉजिस्ट से विचार-विमर्श कर गर्भधारण की योजना बनायी जाए तो पहले से ही दवाओं में बदलाव किया जा सकता है और एसएलई से पीड़ित महिलाएं न केवल सफलतापूर्वक बच्चे को जन्म दे सकती हैं बल्कि अपने नवजात शिशु को स्तनपान भी करा सकती हैं।’’

उन्होंने इन मरीजों के लिए परिवार से मजबूत समर्थन और भावनात्मक समर्थन का भी आह्वान किया।

भाषा गोला धीरज

धीरज

 

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