जरदारी ने पाकिस्तान में एक ही परिवार के अधिकांश विधायकों के मामले में शरीफ को पछाड़ दिया |

जरदारी ने पाकिस्तान में एक ही परिवार के अधिकांश विधायकों के मामले में शरीफ को पछाड़ दिया

जरदारी ने पाकिस्तान में एक ही परिवार के अधिकांश विधायकों के मामले में शरीफ को पछाड़ दिया

:   Modified Date:  March 30, 2024 / 04:11 PM IST, Published Date : March 30, 2024/4:11 pm IST

लाहौर, 30 मार्च (भाषा) राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की सबसे छोटी बेटी आसिफा के नेशनल एसेंबली (एनए) के लिए निर्विरोध निर्वाचित होने बाद जरदारी ने पाकिस्तान की राजनीति में एक ही परिवार से सबसे अधिक संख्या में विधायक/संसद बनने का रिकॉर्ड बनाकर ‘शरीफ परिवार’ को पीछे छोड़ दिया है।

आसिफा ने अगले महीने होने वाले उपचुनाव के लिए सिंध प्रांत के शहीद बेनजीराबाद (पूर्व में नवाबशाह) क्षेत्र से संसदीय चुनाव के लिये नामांकन दाखिल किया था।

क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की ओर से जारी एक अधिसूचना के अनुसार, आसिफा के खिलाफ तीन उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था, लेकिन बाद में तीनों ने अपना नाम वापस ले लिया, तदुपरांत आसिफा निर्विरोध निर्वाचित हो गयीं।

आसिफा के खिलाफ नामांकन दाखिल करने वाले तीन उमीदवारों में अब्दुल रसूल ब्रोही, अमानुल्लाह और मैराज अहमद शामिल थे।

यह सीट उनके पिता आसिफ अली जरदारी के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद खाली हुई थी।

आसिफा की जीत के साथ जरदारी परिवार के पास राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर छह सांसद/विधायक हो गए हैं, जिससे शरीफ परिवार में सर्वाधिक विधायक/सांसद होने का रिकॉर्ड टूट गया है, क्योंकि अब देश के संसदीय इतिहास में एक ही परिवार के सबसे अधिक सदस्य इसमें शामिल हैं।

अब जरदारी खुद देश के राष्ट्रपति हैं, उनकी बेटी आसिफा, बेटा बिलावल भुट्टो जरदारी और बहनोई मुनव्वर अली तालपुर नेशनल असेंबली के सदस्य हैं, जबकि दोनों बहनें फरयाल तालपुर और अजरा पेचुहो सिंध में प्रांतीय असेंबली की सदस्य हैं।

दूसरी ओर, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बड़े भाई नवाज शरीफ और उनके बेटे हमजा शहबाज शरीफ को नेशनल एसेंबली का सदस्य चुना गया है, जबकि उनकी भतीजी मरयम नवाज शरीफ पंजाब की मुख्यमंत्री हैं।

इकत्तीस-वर्षीया आसिफ़ा के पास राजनीति और समाजशास्त्र में स्नातक की डिग्री और वैश्विक स्वास्थ्य एवं विकास में स्नातकोत्तर की डिग्री है। उन्होंने शुरुआत में 2012 में पोलियो उन्मूलन अभियान के लिए सद्भावना राजदूत के रूप में काम किया था, जिससे उनका चेहरा जनता के बीच परिचित हो गया।

भाषा सुरेश रंजन

रंजन

 

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