International Yoga Day 2022 : Importance, benifits and History of Yoga

International Yoga Day 2022 : चित्त वृत्तियो का निरोध ही योग है।योग में कई प्रकार के आसन होते है , कई प्रकार के प्राणाया...

International Yoga Day 2022 : Importance, benifits and History of Yoga
Modified Date: June 16, 2023 / 02:59 pm IST
Published Date: June 21, 2022 12:17 pm IST

International Yoga Day 2022 : चित्त वृत्ति निरोध: …..
अर्थ – चित्त वृत्तियो का निरोध ही योग है।
योग में कई प्रकार के आसन होते है , कई प्रकार के प्राणायाम होते है। जो मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत महत्व रखता है। मानव शरीर हर बीमारी का इलाज योग में छिपा हुआ है। योग को अगर व्यक्ति अपने जीवन दिन-चर्या में उतारे तो जीवन जीने में एक अद्भुत आनन्द की अनुभूति होती है।

योग का प्राचीनतम इतिहास ( History of Yoga )

योग का इतिहास अत्यधिक प्राचीन है , योग शब्द की उत्तपत्ति संस्कृत भाषा से हुई है ,योग की शुरुवात अगर देखे तो “शिव जी” से हुई है,और देखा जाये तो योग का उल्लेख ऋग्वेद वेद में मिलता है और हिन्दु उपनिषदो में भी मिलता है , प्राचीन भारत में हिन्दु और बौद्ध धर्म के लोग योग को अपने जीवन के अंग की तरह बसा के रखे हुए थे।
योग कई प्रकार के होते है हस्त योग,कर्म योग,भक्ति योग आम तौर पर हस्त योग में कई आसान आते है और इन आसनो का अभ्यास आज भारत में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी किया जाता है।

योग के फायदे ( Benifits of Yoga )

योग के ऐसे चमत्कारी फायदे है कि, इसमें कोई दोमत नहीं है ,चाहे वह मानसिक रोग हो या शारीरिक हर स्थितियों में व्यक्ति शांति प्रदान करता है।
यह 21 जून 2021 को मनाया जाएगा। योग में आसन क्या हैं, आसन क्या कहलाते हैं, योग आसनों का मुख्य उद्देश्य क्या है, आसन और व्यायाम में क्या अंतर है और संक्षेप में आसन कितने प्रकार के होते हैं, विश्व योग दिवस पर जानें यह सब।

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1. यह उस तरह के बैठने को संदर्भित करता है जो मन को स्थिर रखता है और आनंद प्रदान करता है। आसन शब्द संस्कृत भाषा के मूल ‘अस’ से बना है, जिसका अर्थ है बैठने की जगह और शारीरिक स्थिति दोनों।

2. योगासन का एक सिद्धांत उद्देश्य है: शरीर के मलमूत्र को नष्ट करना। मल को नष्ट करने या शरीर से दूषित होने से शरीर और मन में स्थिरता की स्थिति उत्पन्न होती है। शांति और स्वास्थ्य प्राप्त करें।

योग के अभ्यास से केवल शरीर ही मन और बुद्धि से आत्मा को संसार के बंधनों से मुक्त करने में सक्षम है। शरीर वृहत्तर ब्रह्मांड का सूक्ष्म रूप है। इसलिए, जब शरीर स्वस्थ होता है, तो आत्मा और मन संतुष्ट होते हैं।

आसन एक वैज्ञानिक विधि है। यह शरीर को स्वच्छ, शुद्ध और सक्रिय रखता है, जिससे व्यक्ति हमेशा के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है। आसन एकमात्र ऐसा व्यायाम है जो आंतरिक चक्रों को प्रभावित कर सकता है।

3. आसन और व्यायाम: जहां आसन हमारे शरीर की प्रकृति को बनाए रखते हैं, वहीं अन्य प्रकार के व्यायाम इसे बदल सकते हैं।
जिम या अखाड़े का शरीर शरीर पर किए गए अतिरिक्त श्रम का परिणाम है जो केवल दिखाई देता है। शरीर की अतिरिक्त ऊर्जा को फैलाना पड़ता है।

4. आसनों के उदाहरण

1. बैठने की मुद्रा।
2. आसन पीठ के बल लेट कर किया जाता है।
3. लेटने की मुद्रा
4. लेट कर किए गए खड़े होने की मुद्रा।

1. बैठने के दौरान निम्नलिखित आसनों का अभ्यास करना चाहिए: पद्मासन, वज्रासन, सिद्धासन, मत्स्यासन, वक्रासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन, पश्चिमोत्तानासन, ब्रह्म मुद्रा, उष्ट्रासन, गोमुखासन, वगैरह।

2. पीठ के बल करने वाले आसन: अर्धहलासन, हलासन, सर्वांगासन, विपरीतकर्णी आसन, पवनमुक्तासन, नौकासन, शवासन आदि।
3. पेट के बल लेट जाएं: मकरासन, धनुरासन, भुजंगासन, शलभासन, विपरीत नौकासन आदि।

4. अन्य आसनों में आप ताड़ासन, वृक्षासन, अर्धचंद्रासन, अर्धचक्रासन, दो भुज कटिचक्रासन, चक्रासन, पादहस्तासन आदि कर सकते हैं।

5. आसनानी समस्तनियावंतो जीवाजंतव:. चतुरशीट लक्षशिवनाभिहितानी च.’ – इस हिसाब से 84,000 आसनों में से केवल 84 आसन ही मुख्य माने जाते हैं। इनमें से मुख्य आसनों का भी योगाचार्यों ने अपने-अपने तरीके से वर्णन किया है। इस आधार पर हम योग को अधिकतर छह भागों में बाँट सकते हैं:-


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