रायपुरः Muslim population in India : लोकसभा चुनाव के दौरान हर रोज नए-नए मुद्दों का गूंज सुनाई दे रही है। आरक्षण, रंग-रूप, विरासत टैक्स, अदानी-अंबानी पर जारी सियासी संग्राम के बीच एक बार फिर हिंदु-मुसलमान की बहस तेज हो गई है। दरअसल, प्रधानमंत्री को सलाह देने वाली आर्थिक सलाहकार परिषद की एक रिपोर्ट आई है, जिसके नतीजे हिंदू बनाम मुस्लिम की राजनीति को और हवा देते नजर आ रहे हैं।
Muslim population in India लोकसभा चुनाव के दौरान हिंदू-मुसलमान पर जारी बहस के बीच प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद ने देश की आबादी पर की गई एक स्टडी की रिपोर्ट सार्वजनिक की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 1950 के बाद से हिंदुओं की आबादी घटी है और मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है। रिपोर्ट में 1950 से 2015 यानि 65 साल के दौरान आबादी की स्टडी की गई है। इसमें बताया गया है कि 1950 में भारत में हिंदुओं की आबादी करीब 85 फीसदी थी जो करीब 8 फीसदी घटकर 2015 में 78 फीसदी हो गई। वहीं 1950 में मुस्लिम आबादी 9.84 फीसदी थी जो 65 सालों के दौरान 43फीसदी बढ़ गई और 2015 में ये कर 14.09 फीसदी हो गई है। इसी तरह ईसाई, और सिख समुदाय की भी आबादी बढी है। जाहिर है बीच चुनाव में इस रिपोर्ट के आते ही राजनीतिक बयानबाजी की नई सीरीज शुरू हो चुकी है। बीजेपी का आरोप है कि ये सब कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण वाली नीतियों का नतीजा है। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए रिपोर्ट लाई गई है।
विपक्षी दल जहां इस रिपोर्ट की टाइमिंग पर सवाल खड़ा कर रहे हैं तो वहीं भाजपा और अन्य हिंदू संगठन मुस्लिमों की आबादी तेजी से बढ़ने को देश के लिए खतरनाक बताते हुए समान नागरिक संहिता की पैरवी कर रहे हैं। आबादी पर जारी रिपोर्ट पर बढ़ा सियासी घमासान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ तक भी पहुंच गया है।
पीएम के आर्थिक सलाहकार परिषद की इस रिपोर्ट में 2015 तक के आंकड़े हैं, ऐसे में 9 साल पुरानी इस रिपोर्ट को ठीक लोकसभा चुनाव के बीच में जारी करने से इसकी टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं कि पॉपुलेशन के कैलकुलेशन के पीछे क्या कोई इलेक्शन कनेक्शन है और क्या ये महज एक संयोग है या चुनावी प्रयोग?
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