खरगोन : Amazing bridge being constructed in Khargone खरगोन जिले के आदिवासी अंचल के भगवानपुरा में स्थित महर्षि मार्कण्डेय की तपोभूमि और प्राचीन नन्हेंश्वर महादेव मंदिर में कुंदा नदी पर राजस्थान के लाल पत्थरों से एक अद्भुत पुल का निर्माण किया जा रहा है। इस पुल की उम्र हजारों साल रहेगी। साथ ही करीब सवा करोड़ की लागत से बनने वाले इस पुल की खासियत यह है कि इसमें सरकार की मदद लिए बिना मंदिर के व्यवस्थापक हरिओम बाबा द्वारा आसपास के ग्रामीणों के जन सहयोग से इस पुल का निर्माण कराया जा रहा है।जो देश सहित प्रदेश में एकमात्र ऐसा पुल है, जो लाल पत्थरों से बनाया जा रहा है।
यह पुल केवल पैदल यात्रियों के लिए रहेगा। नन्हेंश्वर महादेव मंदिर की खास विशेषता यह है कि यहां प्राचीन बावड़ी में पारद शिवलिंग विराजे हैॆ, जो वर्ष में एक बार केवल हटकेश्वर जयंती पर ही खोला जाता है। वर्ष भर यह पारद शिवलिंग जल में ही डूबे रहते हैं। इसी के चलते यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु कांच से भगवान भोलेनाथ के दर्शन और पूजन कर अपनी मनोकामना मांगते है।
Amazing bridge being constructed in Khargone खरगोन जिले के भगवानपुरा में स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल नन्हेंश्वर धाम में कुन्दा नदी पर बन रहा प्रदेश का एकमात्र अनोखा और ऐतिहासिक पुल है जो करीब ढाई सौ फीट लम्बे और 10 फीट चौड़े तथा जमीन से करीब 12 फीट ऊंचे पुल निर्माण का कार्य अंतिम चरणों में है। यह पुल पूरी तरह लाल पत्थरों से निर्मित हो रहा है जो राजस्थान के जोधपुर से लाये गए हैं। इसमें मजबूती के लिए पीतल की मोटी राड़ का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसमें लगभग 6 से 7 क्विंटल पीतल की रॉड का उपयोग हो रहा है। मप्र के मुरैना के कारीगर पत्थरों को तराशकर पूल को तैयार कर रहे हैं। कुल 14 पिलरो वाले इस पुल पर अभी तक कुंदा नदी पर 8 पिलर खड़े किए जा चुके है। जबकि 6 पिलर और खड़े किए जा रहे है।
आगामी शिवरात्रि पर पूरी तरह से बन जाने की संभावना जताई जा रही है जिससे यहां बारिश के साथ साथ वर्ष भर देश प्रदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर तक पहुंचने में सुगम हो सकेगा। यह पूल सिर्फ पैदल आवागमन के लिए होगा इस पर न दो पहिया वाहन चलेगा और न ही कोई अन्य वाहन। यह अनोखा पुल मंदिर के व्यवस्थापक और संत हरिओम बाबा के मार्गदर्शन में बन रहा है, जिसमें श्रद्धालुओं के साथ साथ आसपास और दुरादराज गावों के लोगों से जन सहयोग लेकर पुल का निर्माण किया जा रहा है। इस पुल निर्माण के लिए हरि ओम बाबा द्वारा करीब साढ़े पांच सौ सदस्यों से स्वेच्छा से 25- 25 हज़ार रुपए एकत्रित किए गए हैं।
Amazing bridge being constructed in Khargone खास बात यह है कि पुल निर्माण में सरकार का अब तक एक भी रुपया नहीं लिया गया है। करीब सवा करोड़ की लागत से बनने वाला यह पुल प्रदेश का ऐसा एकलौता पुल होगा, जो सरकार की मदद लिए केवल श्रद्धालुओं के सहयोग से बनाया जा रहा है। अगले साल शिवरात्रि तक पूल पूरी तरह तैयार होने का अनुमान है। निमाड़ अंचल के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में शुमार नन्हेंश्वर धाम की निमाड़ और प्रदेश भर में अपनी खास पहचान है। यहाँ पर अद्भुत हटकेश्वर महादेव की शिवलिंग है जो वर्षभर जलमग्न रहती है। जिसके दर्शन के लिए मप्र सहित गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और अन्य प्रांतों और शहरों से शिवभक्त दर्शन के लिए आते है। इस मंदिर का जल वर्ष में एक बार हटकेश्वर जयंती पर ही खाली किया जाता है। बावजूद इसके यहां शिवलिंग पर आज तक न तो काई जमी और न ही गाद। यहां एक कुंड भी बना हुआ है जो वर्ष भर पानी से लबालब रहता है जहां श्रद्धालु स्नान कर भगवान भोलेनाथ के दर्शन और पूजन करते है। सावन माह के साथ साथ महा शिवरात्रि पर्व पर यहां दूर दूर से श्रद्धालु पहुंचकर अपनी मनोकामना मांगते है।
मंदिर से जुड़े सदस्यों का कहना है कि नन्हेंश्वर धाम आने के लिए दो मार्ग है। एक मार्ग छोटी पुलिया से होकर जाता है जो बरसात के दिनों में पूरी तरह डूब जाती है और दूसरा मार्ग पैदल नदी पार करके मंदिर तक जाना पड़ता है। बारिश में शिवभक्तों को अधिक परेशानी भी उठाना पड़ती है। खासकर श्रावण माह में नदी पर बाढ़ का पानी आने से दोनो मार्ग अवरूद्ध हो जाते है। इसलिए यहां पर बड़े पुल के लिए कई बार आला अधिकारियों और क्षेत्र के तमाम जनप्रतिनिधियों को पुल निर्माण के बारे में अवगत करा चुके है। लेकिन सभी आश्वासन ही देते आए है। ऐसे में प्रशासन और नेताओं ने नहीं सुनी तो बाबा ने स्वयं पूल निर्माण का बीड़ा उठाया।
Amazing bridge being constructed in Khargone अब हरिओम बाबा ने जनसहयोग से कुंदा नदी पर विशाल पूल बनाने की ठानी और इसे साबित भी करके बताया कि जनसहयोग से भी बड़े से बड़े कार्य किए जा सकते है। हरि ओम बाबा का कहना है कि यह पुल जन सहयोग से निर्मित हो रहा है। अगर सरकार इसमें सहयोग करें तो कर सकती है, जिसमें घाट निर्माण सहित और भी योजनाएं प्रस्तावित है। पुराणों के अनुसार यहां पर मार्कण्डेय ऋषि अमर हुए थे। इसी लिए यह उनकी तपोभूमि के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि एक अरब नब्बे करोड़ उनसठ लाख 45 हजार साल पहले अमर हुए थे। वर्ष 1333 में इसे खंडित कर दिया गया था। अब इसका जीर्णोद्धार किया जा रहा है। पुल निर्माण के लिए श्रद्धालुओं से स्वेच्छा से 25-25 हजार रुपए की जन सहयोग की राशि ली गई है। यह राशि किश्तों में ली जाती है। अभी तक कुल 555 सदस्य बनाए जा चुके हैं। लाल पत्थर से बन रहे इस पुल में जोधपुर से पत्थर मंगवाए गए हैं। शिवरात्रि तक यह पुल पैदल श्रद्धालुओं के शुरू किया जाएगा।
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