भोपालः Anand department again formed in Madhya Pradesh मध्यप्रदेश में आध्यात्म विभाग अब धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के नाम ही जाना जाएगा। शिवराज कैबिनेट ने कमलनाथ सरकार के एक और फैसले को बदलते हुए आनंद विभाग का दोबारा गठन कर दिया है। फैसले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गई है। कांग्रेस आरोप लगा रही है कि बीजेपी का सिर्फ नाम पर ध्यान है, विकास पर नहीं। वहीं बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस को सिर्फ ऐतराज की राजनीति करनी आती है।
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Anand department again formed in Madhya Pradesh मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार ने फिर कमलनाथ सरकार का एक और फैसला पलट दिया है। शिवराज कैबिनेट ने अपनी ही सरकार के कार्यकाल के दौरान बनाए गए आनंद विभाग को फिर बहाल कर दिया है। दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने तीसरे कार्यकाल के आखिरी दिनों में आनंद विभाग का गठन कर खूब सुर्खियों बटोरी थी, लेकिन 2018 में चुनाव हुए और बीजेपी के हाथों से सत्ता चली गई। कमलनाथ मुख्यमंत्री बने और शिवराज सिंह चौहान के बनाए गए आनंद विभाग को धर्मस्व विभाग में मर्ज करते हुए नया नाम आध्यात्म विभाग दे दिया। जाहिर है बीजेपी को सत्ता में आने के डेढ़ बरस तक कमलनाथ के इस फैसले को लेकर बदहजमी रही। सो अब कैबिनेट ने तय किया कि मध्यप्रदेश में 6 साल पहले शुरु हुए आनंद विभाग अपने हैप्पीनेस के एजेंडे को फिर लोगों तक पहुंचाएगा
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जाहिर है शिवराज कैबिनेट के फैसले के बाद अब आध्यात्म विभाग का नाम भी पहले की ही तरह धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग हो जाएगा। दरअसल कमलनाथ की सरकार में आध्यात्म विभाग को धर्मस्थानों से जुड़े ऐतिहासिक स्थानों का रखरखाव। धार्मिक स्थलों पर लगने वाले मेलों और आयोजनों पर भीड़ प्रबंधन एवं सुरक्षा की विशेष व्यवस्थाओं पर सुझाव देना। प्रदेश और बाहर के चिह्नित तीर्थस्थलों की यात्रा का प्रबंधन, धार्मिक संस्थाओं की भूमि का प्रबंधन, पुजारी, महंत और कथावाचकों की नियुक्ति और उनको हटाना, नगर, शहर और स्थानों को पवित्र घोषित करना जैसी जिम्मेदारियां मिली थी। जाहिर है कमलनाथ सरकार के इस फैसले को पलटने पर कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है।
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6 साल पहले गठित आनंद विभाग को बनाने के पीछे सरकार की मंशा थी कि मध्यप्रदेश के लोगों में हैप्पीनेस का भाव आए लेकिन आनंद विभाग से जुड़ने वालों को उम्मीद नहीं थी कि अगले कुछ ही सालों में इस पर सियासत भी होने लगेगी, हुआ भी वही। दो सरकारों के आने और जाने के बीच मध्यप्रदेश का हैप्पीनेस इंडेक्स खतरे में पड़ गया। बहरहाल आनंद विभाग तीन साल बाद फिर शुरु हो रहा है। उम्मीद है आनंद विभाग इस बार अपने मकसद में ज़रुर कामयाब होगा।
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