इंदौर (मध्यप्रदेश), 29 अप्रैल (भाषा) सूरत के घटनाक्रम के बाद कांग्रेस को सोमवार को एक और झटका लगा। इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने 13 मई को होने वाले मतदान से पहले अपना नामांकन वापस ले लिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए।
इसके साथ ही, इंदौर सीट के संसदीय इतिहास में संभवत: पहली बार कांग्रेस की चुनावी चुनौती समाप्त हो गई जहां यह पार्टी पिछले 35 साल से जीत की बाट जोह रही है।
बम के चुनावी दौड़ से बाहर होने के बाद दिल्ली में कांग्रेस ने कहा कि देश में लोकतंत्र खतरे में है।
इंदौर की एक अदालत ने स्थानीय कारोबारी बम और उनके पिता के खिलाफ जमीन विवाद में 17 साल पहले एक व्यक्ति पर कथित हमले को लेकर दर्ज प्राथमिकी में भारतीय दंड विधान की धारा 307 (हत्या का प्रयास) जोड़ने का आदेश 24 अप्रैल को दिया था। इस आदेश के महज पांच दिन बाद बम ने इंदौर सीट से अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का कदम उठाया।
बम, राज्य के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, काबीना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और अन्य भाजपा नेताओं की मौजूदगी में पार्टी में औपचारिक रूप से शामिल हुए।
बम ने इस मौके पर कहा, ‘‘मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देशप्रेम, राष्ट्रहित और सनातन धर्म के प्रचार की राह पर आगे बढ़ने का फैसला किया है। इसलिए मैंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में नामांकन वापस ले लिया है।’’
जिलाधिकारी आशीष सिंह ने बताया कि दस्तावेजों की छानबीन के बाद 23 उम्मीदवारों के पर्चे सही पाए गए थे और इनमें से बम समेत नौ प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया।
उन्होंने बताया कि नाम वापसी के बाद इंदौर सीट पर 14 उम्मीदवार रह गए हैं जिनके बीच चुनावी मुकाबला होगा।
भाजपा ने लोकसभा चुनाव में गुजरात की सूरत सीट से पिछले हफ्ते अपनी पहली जीत दर्ज की जब कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुम्भाणी का नामांकन गड़बड़ियों के कारण खारिज कर दिया गया और अन्य उम्मीदवार भी चुनावी दौड़ से बाहर हो गए। नतीजतन भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल की चुनावी जीत सुनिश्चित हो गई।
बम के पालाबदल के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ‘‘देश में लोकतंत्र खतरे में है।’’
उन्होंने निर्वाचन आयोग की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या ऐसे वक्त स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान हो सकेगा, जब एक के बाद एक उम्मीदवारों को ‘‘डराया’’ जा रहा है?
बम की ऐन मौके पर नाम वापसी को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि इस प्रत्याशी का वैसे ही ‘‘हरण’’ कर लिया गया, जैसे रावण ने सीता का हरण किया था।
पटवारी ने कहा कि कांग्रेस इंदौर सीट पर अपनी आगामी रणनीति को लेकर मंगलवार शाम तक खुलासा करेगी।
बम के नामांकन वापस लेने के बाद इंदौर की शहर कांग्रेस इकाई के कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने पार्टी संगठन पर खुलकर नाराजगी जताई।
यादव ने कहा, ‘‘मैंने खुद इंदौर से चुनावी टिकट मांगा था, लेकिन मेरी और मेरे जैसे कांग्रेस के कई जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी करके बम की धन की ताकत देखकर उन्हें टिकट दिया गया।’’
उन्होंने कहा कि उन्हें पहले ही आशंका थी कि बम ऐन वक्त पर नामांकन वापस ले सकते हैं।
भाजपा का मजबूत गढ़ कहे जाने इंदौर में कांग्रेस ने एकदम नये-नवेले चेहरे बम को अपना उम्मीदवार बनाया था। बम पेशे से कारोबारी हैं और उनका परिवार शहर में निजी महाविद्यालयों का संचालन करता है।
बम ने अपने राजनीतिक करियर में अब तक एक भी चुनाव नहीं लड़ा है। कांग्रेस ने उन्हें इंदौर से ऐसे वक्त उम्मीदवारी का मौका दिया था, जब जिले में कांग्रेस के तीन पूर्व विधायकों समेत पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता लोकसभा चुनावों से पहले पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
इंदौर सीट पर मुख्य चुनावी मुकाबला भाजपा के निवर्तमान सांसद शंकर लालवानी और बम के बीच मानी जा रहा था।
मतदाताओं की तादाद के लिहाज से प्रदेश में सबसे बड़े इंदौर लोकसभा क्षेत्र में 25.13 लाख लोगों को मताधिकार हासिल है जहां भाजपा ने इस बार आठ लाख मतों के अंतर से जीत का नारा दिया है।
भाषा हर्ष खारी
खारी
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