ब्रोंकियोलाइटिस वायरल की चपेट में आए 5 और बच्चे, 40 तक पहुंचा संक्रमितों का आंकड़ा, जानिए क्या है लक्षण
ब्रोंकियोलाइटिस वायरल की चपेट में आए 5 और बच्चे, 40 तक पहुंचा संक्रमितों का आंकड़ा, जानिए क्या है लक्षण! bronchiolitis viral Affected
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ग्वालियर: bronchiolitis viral Affected कोरोना से थोड़ी राहत के बाद देश के कई राज्यों में H3N2 का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। राजधानी दिल्ली में पीडी में इस तरह की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों की संख्या में करीब 150 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन इस बीच मध्यप्रदेश में ब्रोंकियोलाइटिस वायरल पांव पसार रहा है। बताया जा रहा है कि मंगलवार को ब्रोंकियोलाइटिस पांच और बच्चों की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही कमलाराजा अस्पताल में पीड़ित बच्चों की संख्या 40 हो गई है।
bronchiolitis viral Affected बता दें कि मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आए दिन ब्रोंकियोलाइटिस वायरल के मरीज मिल रहे हैं। बच्चे सबसे ज्यादा इस संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। अब तक कमलाराजा अस्पताल में 40 बच्चों को भर्ती कराया जा चुका है।
हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की हालत में पहले से सुधार हो रहा है। वायरल ब्रोंकियोलाइटिस के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इन्फ्लूएंजा एच 3 एन 2 वायरस और वायरल ब्रोंकियालाइटिस की जांच के लिए किट के ऑर्डर जारी कर दिए गए हैं।
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ब्रोंकियोलाइटिस क्या है?
ब्रोंकियोलाइटिस एक वायरल संक्रमण है जो फेफड़ों में वायुमार्ग (ब्रोन्कियोल्स) को संकीर्ण कर देता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। यह ज्यादातर सर्दियों और शुरुआती वसंत के दौरान 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में होता है। बहुत ही कम, वयस्कों को ब्रोंकियोलाइटिस हो सकता है। उदाहरण के लिए, ब्रोंकियोलाइटिस ओब्लिटरन्स नामक एक स्थिति है, जिसे कभी-कभी “पॉपकॉर्न फेफड़े” के रूप में जाना जाता है। यह स्थिति आमतौर पर परेशान करने वाले रसायनों या अन्य पदार्थों में सांस लेने के कारण होती है।
ब्रोंकियोलाइटिस के लक्षण
- सांस की तकलीफघरघराहटऑक्सीजन की कमी से त्वचा का नीला पड़नाफेफड़ों में चटकने या चटकने की आवाजें सुनाई देनाथकानसांस लेने की कोशिश के दौरान धँसी हुई पसलियाँ (बच्चों में)नाक का फड़कना (शिशुओं में)तेज सांस लेनाखांसी।
- कुछ रसायनों के संपर्क में आने से ब्रोंकियोलाइटिस दो सप्ताह से एक महीने के भीतर प्रकट हो सकता है। फेफड़े के संक्रमण के लक्षण पैदा करने में कई महीनों से लेकर कई साल लग सकते हैं।

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