BJP- करनी सेना की जुगलबंदी कांग्रेस कैसे करेंगी किलेबंदी? करणी सेना के आंदोलन से बदलेगा चुनावी समीकरण?
BJP- करनी सेना की जुगलबंदी कांग्रेस कैसे करेंगी किलेबंदी? Jugalbandi of BJP-Karni Sena, how will Congress fortify
शिखिल ब्यौहार/भोपाल। Jugalbandi of BJP-Karni Sena गुरूवार को सीएम हाउस में हुए राजपूत महापंचायत में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एक बड़ी लकीर खिचने की कोशिश की। मनभावन टेकरी पर रानी पद्मावती के स्मारक का भूमिपूजन और महाराणा प्रताप जयंती के मौके पर प्रदेश भर में सार्वजनिक छुट्टी की निर्णय राजपूतों की मांगों को मांगकर बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की। क्षत्रिय समागम कार्यक्रम में राजपूत महापंचायत के अध्यक्ष राघवेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक उत्सव है। हालांकि इस आयोजन को करणी सेना ने बीजेपी का कार्यक्रम बताया। करणी सेना ने कहा कि 8 जनवरी को भोपाल में शक्ति प्रदर्शन होकर रहेगा। लेकिन बीजेपी करनी सेना की जुगलबंदी कांग्रेस कैसे करेंगी किलेबंदी?
राजपूत ही सरकार बनाते हैं। राजपूत ही सरकार गिराते हैं। पूरा सनातन राजपूतों के साथ खड़ा है..बयानों के ऐसे तीखे तेवर को देख आप सोच रहे होंगे कि मध्यप्रदेश की धरती पर कुछ बड़ा होने वाला है..ऐसा जो किसी नारागजी..किसी बड़ी मांग के साथ बड़े आंदोलन की ओर इशारा करता है..लेकिन यह गर्जना मध्यप्रदेश के लिए नहीं बल्कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार समेत अन्य राज्यों के लिए है। एमपी की धरती से तो बस हुंकार लगाई गई है। आंदोलन का ऐलान किया गया है दरअसल सालों से जिन 21 सूत्रीय मांगों को लेकर राजपूतों से जुड़े संगठन सड़कों से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ रहे थे। उन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक झकटे में मान लिया। सालों बाद पूरी हुई यही मांग अब अन्य प्रदेशों के लिए गले की हड्डी बनने जा रही हैं।
इधर, बीजेपी नेताओं ने शिवराज सरकार को सामाजिक विकास की सरकार बताया और दूसरे प्रदेशों को भी ऐसे ही फैसले लेने की नसीहत दे दी। समाज तो ठीक लेकिन बात तो सियासत की है। लिहाजा कांग्रेस ने एक बार फिर मांगों को लेकर सत्ता-संगठन पर निशाना साधा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राजपूतों को यदि प्रताड़ित करने का काम किसे किया तो बीजेपी है। अब इवेंट कर राजपूत समाज और उससे जुड़े संगठनों को गुमराह करने का काम कर रही है।
आरक्षण और सर्वणों के मुद्दे पर अक्सर गर्म रहने वाला मध्यप्रदेश और सालों पुरानी राजपूतों की पूरी होती मांग ये मसले चुनावी साल में बहुत कुछ इशारा करते हैं, लेकिन यह दिलचस्प होगा कि एमपी की दिलेरी और शिवराज का चहेरा..दूसरे प्रदेशों की सियायत में क्या रंग दिखाएगा।

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