भोपाल, 16 जनवरी (भाषा) मध्य प्रदेश सरकार ने आरटीआई अधिनियम के कई खंडों का हवाला देते हुए ”शिखर सम्मान” पुरस्कारों से संबंधित जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है।
आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने 2019 और 2020 में विभिन्न लोगों को कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए शिखर सम्मान प्रदान करने से संबंधित निर्णय प्रक्रिया के बारे में जानकारी मांगी थी। शिखर सम्मान पुरस्कारों के तहत कबीर सम्मान, कालिदास सम्मान, लता मंगेशकर सम्मान, मैथिली शरण गुप्त सम्मान, इकबाल सम्मान प्रदान किया जाता है।
राज्य सरकार के संस्कृति निदेशालय ने अपने जवाब में कहा है कि वांछित जानकारी किसी तीसरे पक्ष से संबंधित है और इसे सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम की धारा 8 (1) (डी) के तहत सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। यह खंड ”व्यावसायिक विश्वास, व्यापार गोपनीयता या बौद्धिक संपदा सहित विभिन्न जानकारियां देने रोकता है, जिन्हें प्रकट करने से किसी तीसरे पक्ष की प्रतिस्पर्धी स्थिति को नुकसान होता हो।
संस्कृति निदेशालय के जवाब के अनुसार, सूचना का खुलासा अधिनियम की धारा 8(1)(ई) के तहत भी नहीं किया जा सकता। बयान में कहा गया है कि सूचना का खुलासा संबंधित लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकता है और अधिनियम की धारा 8 (1) (जी) के तहत इसे अस्वीकार कर दिया गया है।
दुबे ने कहा कि सरकार वांछित जानकारी के खुलासे से क्यों बच रही है।
उन्होंने कहा, ‘मैं सूचना देने से इनकार के खिलाफ अपील करूंगा। राज्य सरकार को इन महत्वपूर्ण पुरस्कारों से संबंधित निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की जरूरत है।’
भाषा
जोहेब नरेश
नरेश
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