वकील को आम चोरी के एक मामले में ठाणे अदालत के सौ साल पुराने आदेश की प्रति मिली |

वकील को आम चोरी के एक मामले में ठाणे अदालत के सौ साल पुराने आदेश की प्रति मिली

वकील को आम चोरी के एक मामले में ठाणे अदालत के सौ साल पुराने आदेश की प्रति मिली

:   Modified Date:  May 19, 2024 / 10:16 PM IST, Published Date : May 19, 2024/10:16 pm IST

ठाणे, 19 मई (भाषा) एक वकील को महाराष्ट्र के ठाणे की एक अदालत द्वारा 100 साल पहले आम की चोरी के एक मामले में सुनाए गए आदेश की एक प्रति मिली है, जिसमें उस समय की कानूनी कार्यवाही की एक झलक मिलती है।

तत्कालीन मजिस्ट्रेट टी. ए. फर्नांडिस ने पांच जुलाई 1924 को दिये अपने आदेश में चार लोगों को आम चोरी का दोषी ठहराया था और उन्हें हिदायत देकर रिहा कर दिया था, क्योंकि वे सभी नवयुवक थे और उन्हें सजा सुनाकर वह उनका जीवन बर्बाद नहीं करना चाहते थे।

वकील पुनीत महिमकर ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ठाणे शहर में अपने पिछले घर से शिफ्ट होने के दौरान उन्हें तहखाने में वर्षों से लावारिस पड़ा एक बैग मिला, जो संभवत: पहले इस घर में रहने वालों का रहा होगा।

जब उसने बैग खोला तो उसमें संपत्ति के कुछ पुराने कागजात और मजिस्ट्रेट के आदेश की एक प्रति मिली।

यह आदेश ‘‘क्राउन बनाम अंजेलो अल्वेरेस और तीन अन्य’’ के मामले से संबंधित था, जिसमें ‘185 हरे आमों’ की चोरी के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 379/109 के तहत आरोप लगाया गया था।

मजिस्ट्रेट फर्नांडिस के फैसले में अभियोजन पक्ष के मामले को उल्लेखित किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों को बोस्तियाव एलिस एंड्राडेन के खेत से आम तोड़ते समय रंगे हाथों पकड़ा गया था।

गवाहों ने आरोपियों द्वारा चोरी हुए आमों को एक स्थानीय डीलर से बेचने के बारे में गवाही दी थी, जिससे एंड्राडेन अपनी संपत्ति (आम) वापस पाने और कानूनी कार्रवाई करने को प्रेरित हुआ था।

बचाव पक्ष ने खुद को निर्दोष बताते हुए दलील दी लेकिन मजिस्ट्रेट ने आरोपी को चोरी का दोषी ठहराया।

मजिस्ट्रेट ने आदेश में कहा, ‘‘पूरे सबूतों पर विचार करते हुए, मैं संतुष्ट हूं कि आरोपी चोरी के अपराध के दोषी हैं। लेकिन वे सभी युवा पुरुष हैं और मैं उन्हें सजा देकर उनका जीवन बर्बाद करने की कोई इच्छा नहीं रखता, और इसके अलावा उन पर पहले से कोई दोषसिद्धि नहीं है। तदनुसार मैं उन्हें धारा 379/109 के तहत दोषी ठहराता हूं। और उचित चेतावनी के बाद उन्हें रिहा करें।’’

महिमकर ने कहा कि वह अब दस्तावेज़ को संरक्षित करने की योजना बना रहे हैं।

भाषा सुरेश नरेश

नरेश

 

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