मुंबई, सात अप्रैल (भाषा) पश्चिमी तट पर तीन लाख करोड़ रुपये की विशाल रिफाइनरी जैसी परियोजनाओं को आगे बढ़ाये जाने ने धरती को बचाने के लिए भारत के प्रतिबद्धता वाले लक्ष्यों पर सवाल खड़े कर दिये हैं। एक अमेरिकी विद्वान ने बृहस्पतिवार को यह कहा।
फ्लेचर स्कूल के डीन एवं जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की सलाहकार राचेल काइट ने कहा कि यदि सउदी अरब जैसे देश, इस तरह की परियोजनाओं में मदद के लिए, कार्बन उत्सर्जन घटाने के अपने खुद के लक्ष्य के साथ आगे आ सकते हैं तो सरकारों को अन्य देशों में अपने समकक्षों के समक्ष भी यह विषय उठाया जाना चाहिए।
पश्चिमी तट पर रिफाइनरी परियोजना के बारे में चर्चा नये सिरे से शुरू होने के बीच उनकी यह टिप्पणी आई है। इसे विश्व का इस तरह का सबसे बड़ा परिसर बताया जा रहा है जिसका निर्माण सरकारी रिफाइनर सउदी कंपनी अरामको के सहयोग से करेगा।
काइट ने कहा , ‘‘ऊर्जा मंत्रालय (भारत में) से सवाल है, प्रधानमंत्री कार्यालय से सवाल है। यह किस तरह से नेट जीरो लक्ष्य के अनुरूप होगा।’’
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि पश्चिमी तट रिफाइनरी परियोजना पर आगे बढ़ना निर्धारित लक्ष्यों के प्रतिकूल होगा।
भाषा सुभाष पवनेश
पवनेश
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