मुंबई: कोरोना ने समाज के सभी वर्गो को प्रभावित किया है। कई लोग इस भयंकर महामारी के दौर में बेरोजगार हो गए, तो कई लोगों का कामकाज ठप्प हो गया है। वहीं, दूसरी ओर टेक्नोलॉजी जितनी तेजी से काम कर रहा है, उतनी ही तेजी से श्रमिकों की जरूरत कम होने लगा है। यानि की बड़ी कंपनियों का रूख अब ऑटोमेशन ओर बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देशभर में 1.6 करोड़ कर्मचारी आईटी सेक्टर में काम करते हैं। वहीं, रिपोर्ट में यह भी दावा किया जा रहा है कि साल 2022 तक कई कंपनियों ने कर्मचारियों की छटनी करने की तैयारी कर रही है। छटनी के बाद कंपनियों को लगभग 100 बिलियन डॉलर की बचत होगी।
Read More: सोते हुए बुजुर्ग पति पर डाल दिया एक बाल्टी खौलता हुआ शक्कर का शीरा, झुलसकर हुई मौत
Nasscom ने एक सर्वे के बाद यह दावा किया है कि आईटी सेक्टर में करीब 1.5 करौड़ लोग काम कर रहे हैं। लेकिन आई सेक्टर जल्द ही लाखों कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी में है। रिपोर्ट के अनुसार लगभग 90 लाख लोग लो-स्किल्ड और बीपीओ में काम करते हैं। इन लो स्किल्ड लोगों को कंपनियां काम से निकालने की तैयारी कर रही है। 2022 तक 30 परसेंट या लगभग 30 लाख अपनी नौकरी गंवा देंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-आधारित संसाधनों पर सालाना 25,000 डॉलर और अमेरिकी रिसोर्सेज पर सालाना 50,000 डॉलर का खर्च आता है। छंटनी के बाद सैलरी और कॉर्पोरेट से जुड़े खर्चों पर कंपनियों को करीब 100 बिलियन डॉलर की बचत कराएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू कंपनियों में 7 लाख लोग अकेले RPA से ही रिप्लेस कर दिए जाएंगे. और बाकी अन्य टेक्नोलॉजी अपग्रेड और अपस्किलिंग से होंगे। वहीं, आरपीए का सबसे अधिक असर अमेरिका जैसे देश पर पड़ेगा। बताया जा रहा है कि बैंक ऑफ अमेरिका 10 लाख लोगों की नौकरी जा सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार आरपीए का सबसे ज्यादा असर भारत और चीन में देखने को मिलेगा। जबकि ASEAN, फारस की खाड़ी और जापान कम से कम जोखिम में हैं।
Edible Oil Price: आम जनता को मिली राहत! आज फिर…
12 hours agoकोटक बैंक का शुद्ध लाभ मार्च तिमाही में 25 प्रतिशत…
13 hours ago