नयी दिल्ली, एक जनवरी (भाषा) असफल या रद्द बैंकिंग लेनदेन में काटी गई धनराशि की वापसी या रिफंड में देरी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए नवगठित उपभोक्ता संरक्षण नियामक सीसीपीए ने आरबीआई से हस्तक्षेप करने के लिए कहा है, ताकि समय पर धन वापसी सुनिश्चित की जा सके।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की मुख्य आयुक्त निधि खरे ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम के जैन को लिखे पत्र में कहा कि ‘‘लेनदेन असफल/रद्द होने, लेकिन धन वापसी नहीं होने की’’ 2,850 शिकायतें लंबित हैं।
बैंकिंग क्षेत्र में पंजीकृत होने वाली शिकायतों में 20 प्रतिशत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) से की जाती हैं।
उन्होंने कहा कि हालांकि बैंक उपभोक्ता या लाभार्थी के खाते में धनराशि जमा कर देते हैं, लेकिन इसे आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार समयबद्ध तरीके से नहीं किया जा रहा।
खरे ने कहा कि ऐसे में आरबीआई द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार बैंकों को समयसीमा के भीतर दावों का निपटान करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘बैंकिंग नियामक होने के नाते आरबीआई से अनुरोध है कि वह इस मामले में ध्यान दे और तय दिशानिर्देशों के अनुसार निर्धारित समयसीमा का पालन करने के लिए बैंकों से कहे।’’
उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं की शिकायतों का तेजी से समाधान सुनिश्चित करने में सीसीपीए आरबीआई को सहयोग देने को तत्पर है।
भाषा पाण्डेय
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