कम्युनिस्ट पार्टी का नया नियम, सदस्यों के सार्वजनिक रूप से मतभेद जाहिर करने पर पाबंदी | Communist Party's new rule bans members from expressing differences in public

कम्युनिस्ट पार्टी का नया नियम, सदस्यों के सार्वजनिक रूप से मतभेद जाहिर करने पर पाबंदी

कम्युनिस्ट पार्टी का नया नियम, सदस्यों के सार्वजनिक रूप से मतभेद जाहिर करने पर पाबंदी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:20 PM IST, Published Date : January 6, 2021/11:19 am IST

(के. जे. एम. वर्मा)

बीजिंग, छह जनवरी (भाषा) चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी इस साल अपना 100वां स्थापना दिवस मनाने की तैयारियों में है और इसी बीच उसने अपने 9.2 करोड़ सदस्यों के लिए नियमों में बदलाव करते हुए मतभेदों को सार्वजनिक रूप से उजागर करने पर पाबंदी लगा दी है। और साथ ही कहा है कि इस प्रकार की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सरकार समाचार एजेंसी शिन्हुआ की चीनी भाषा की सेवा द्वारा प्रकाशित पार्टी के संशोधित नियमों के अनुसार, अगर पार्टी के नेता अयोग्य पाये जाते हैं तो पार्टी कार्यकर्ताओं को उन्हें हटाने की मांग करने का अधिकार दिया गया है।

माओ-त्से तुंग द्वारा 1921 में स्थापित कम्युनिस्ट पार्टी आफ चाइना (सीपीसी) 1949 में सत्ता में आयी और इस साल जुलाई में अपने शताब्दी वर्ष पर भव्य आयोजन की योजना बना रही है। सीपीसी एकदलीय प्रणाली में सबसे लंबे समय तक सत्ता में बनी रहने वाली मार्क्सवादी पार्टी है।

संशोधित नियमों में सूचना प्राप्ति और आंतरिक शिकायतों के समाधान पर नया दिशा-निर्देश जारी किया गया है और इसे ‘पार्टी के भीतर लोकतंत्र को बढ़ावा’ देने के रूप में दिखाया जा रहा है।

नये नियम में स्पष्ट किया गया है कि पार्टी अपने रैंक में किसी के मतभेद को बर्दाश्त नहीं करेगी, विशेष रूप से अगर सार्वजिक रूप से शिकायत की जाती है तो।

नये नियम में कहा गया है, ‘‘पार्टी के सदस्य आलोचना करते हैं, खुलासा करते हैं या समाधान और सजा के लिए अनुरोध करते हैं, उन्हें संगठन के तंत्र का उपयोग करना चाहिए। उन्हें उसे स्वतंत्र रूप से इंटरनेट पर नहीं डालना चाहिए, या उसे बढ़ाचढ़ा कर पेश नहीं करना चाहिए, तथ्यों को तोड़ना-मरोड़ना नहीं चाहिए, फर्जी तथ्य नहीं डालने चाहिए या झूठे आरोप नहीं लगाने चाहिए।’’

नियम पुस्तिका के प्रावधान 16 में कहा गया है कि ‘‘पार्टी के सदस्यों को ऐसे विचार सार्वजनिक मंच पर नहीं रखने चाहिए जो सीपीसी की केन्द्रीय समिति के विचार के अनुरुप ना हों।’’

भाषा अर्पणा नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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