नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2020-21 के सुपर स्पेशिएलिटी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये डाक्टरों को आरक्षण की अनुमति देने से शुक्रवार को इंकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि तमिलनाडु सरकार द्वारा 50 प्रतिशत सीटों के आरक्षण के बारे में जारी आदेश प्रतिभाशाली चिकित्सकों के हितों के लिये नुकसानदेह होगा क्योंकि सुपर स्पेशिएलिटी पाठ्यक्रमों के लिये तमिलनाडु में 50 प्रतिशत सीटें उनके लिये उपलब्ध नहीं होंगी।
शीर्ष अदालत ने इस कथन से सहमत होने से इंकार कर दिया कि सरकार के आदेश को प्रभावी करने से किसी पर भी प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। शीर्ष अदालत ने केरल उच्च न्यायालय के सात अक्टूबर के निर्देशों और सुपर स्पेशिएलिटी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये अंतर-सेवा कोटा प्रभावी करने के तमिलनाडु सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यह अंतरिम आदेश दिया।
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न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने निर्देश दिया शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिये सुपर स्पेशिएलिटी मेडिकल पाठ्यकमों में प्रवेश के लिये काउन्सलिंग की प्रक्रिया बगैर किसी आरक्षण के ही सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्धारित तारीख पर जारी रहेगी। पीठ ने दोहराया कि यह निर्देश सिर्फ वर्तमान शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिये ही प्रभावी होगा। पीठ ने कहा कि चूंकि प्रवेश प्रक्रिया अंतिम चरण में है, ऐसी स्थिति में हम इस साल अंतर-सेवा चिकित्सकों के लिये आरक्षण की अनुमति नहीं दे सकते।
अतिरिक्त सालिसीटर जनरल संजय जैन ने दलील दी थी क सुपर स्पेशिएलिटी पाठ्यक्रम में कोई आरक्षण नहीं दिया जा सकता। केरल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने दलील दी कि शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिये इस समय अंतर-सेवा आरक्षण लागू करना संभव नहीं होगा क्योंकि प्रवेश प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।
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