देहरादून/तपोवन, 10 फरवरी (भाषा) उत्तराखंड के चमोली जिले में बाढ़ से क्षतिग्रस्त तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में फंसे लोगों की तलाश के लिए बुधवार को ड्रोन तथा रिमोट संवेदी उपकरणों की मदद ली जा रही है ।
मौके पर मौजूद उत्तराखंड पुलिस के मुख्य प्रवक्ता और पुलिस उपमहानिरीक्षक नीलेश आनंद भरणे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ इस समय हमारा सारा ध्यान हमारे पास उपलब्ध सभी संसाधनों जेसे ड्रोन और रिमोट संवेदी उपकरणों की मदद से सुरंग के अंदर फंसे लोगों को बचाने पर है।’’
रविवार को ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ से 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गयी थी जबकि बुरी तरह क्षतिग्रस्त 520 मेगावाट तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में काम कर रहे लोग उसमें फंस गए थे।
घटना के बाद से ही लगातार तलाश और बचाव अभियान चलाया जा रहा है जिसमें सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) के करीब 600 कर्मी लगे हुए हैं ।
भरणे ने बताया कि बचाव दल अब तक सुरंग के 80 मीटर अंदर तक पहुंच चुके हैं और अंदर फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए उन्हें टनों मलबे के बीच में से कम से कम 100 मीटर का और रास्ता तय करना पड़ेगा ।
भरणे ने बताया कि सुरंग के अंदर जमा गाद के सूखने और सख्त होने के कारण मलबे को ड्रिल करना और मुश्किल हो गया है ।
यहां राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली ताजा जानकारी के अनुसार, आपदा ग्रस्त क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों से अब तक कुल 32 शव बरामद हो चुके हैं जबकि 174 अन्य लापता हैं ।
भाषा दीप्ति सं
शोभना
शोभना
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