किसान कानून: समिति ने कृषि प्रसंस्करण उद्योगों के साथ विचार विमर्श किया | Farmers' Law: Committee deliberates with agro-processing industries

किसान कानून: समिति ने कृषि प्रसंस्करण उद्योगों के साथ विचार विमर्श किया

किसान कानून: समिति ने कृषि प्रसंस्करण उद्योगों के साथ विचार विमर्श किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:41 PM IST, Published Date : February 9, 2021/12:53 pm IST

नयी दिल्ली, नौ फरवरी (भाषा) कृषि कानूनों के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने मंगलवार को कहा कि उसने कानूनों को लेकर आईटीसी और अमूल सहित कृषि प्रसंस्करण उद्योगों के साथ विचार-विमर्श किया है।

यह समिति की ओर से अब तक की गई छठी बैठक है। तीन सदस्यीय समिति ऑनलाइन तरीके से और आमने सामने बैठकर, दोनों ही तरीकों से हितधारकों के साथ विचार विमर्श कर रही है।

समिति ने एक बयान में कहा कि उसने मंगलवार को विभिन्न कृषि-प्रसंस्करण उद्योगों, एसोसिएशन और खरीद एजेंसियों के साथ बातचीत की।

किसानों के आंदोलन के बीच जो गत नवंबर के अंत से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं, उच्चतम न्यायालय ने 12 जनवरी को तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर दो महीने के लिए रोक लगा दी थी और समिति से इस अवधि के दौरान हितधारकों से परामर्श करने के बाद एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।

समिति ने कहा कि कुल मिलाकर 18 अलग-अलग हितधारक संगठनों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से समिति के सदस्यों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श में भाग लिया।

इन हितधारकों में अमूल, आईटीसी, सुगना फूड्स, वेंकटेश्वर हैचरीज, उद्योग निकाय सीआईआई और फिक्की के साथ ही सरकार द्वारा संचालित भारतीय खाद्य निगम, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) भी शामिल हैं।

क्षेत्र-विशिष्ट क्षेत्रों में, बागवानी उत्पाद निर्यातक संघ, समुद्री खाद्य निर्यातक संघ, आल इंडिया राइस मिलर एसोसिएशन, आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन, ट्रैक्टर मैन्युफैक्चर एसोसिएशन, भारतीय कपास संघ, भारतीय उर्वरक संघ, भारत दलहन और अनाज संघ और आल इंडिया पोल्ट्री फीड मैन्युफैक्चर्र एसोसिएशन ने विचार-विमर्श में भाग लिया।

समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) के प्रतिनिधियों ने व्यक्तिगत रूप से बैठक में भाग लिया।

समिति ने बयान में कहा, ‘‘सभी हितधारक प्रतिभागियों ने तीन कृषि कानूनों पर अपने विस्तृत विचार और बहुमूल्य सुझाव दिए।’’

विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों के हजारों किसान पिछले दो महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। इनकी मांग है कि केंद्र द्वारा लाये गए नये कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए। उनका दावा है कि ये कानून कॉर्पोरेट समर्थक हैं और मंडी प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं।

केंद्र और 41 प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के बीच 11 दौर की वार्ता गतिरोध को समाप्त करने में विफल रही है। हालांकि केंद्र ने कानून का कार्यान्वयन 18 महीनों के लिए निलंबित करने सहित रियायतों की पेशकश की है जिसे यूनियनों ने खारिज कर दिया है।

भाषा. अमित नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)