दो एकड़ खेत का मालिक किसान रातोंरात बना लखपति, खुदाई के दौरान मिला कीमती हीरा | Madhya Pradesh: Lakhpati becomes farmer with 60 lakh diamonds from quarry

दो एकड़ खेत का मालिक किसान रातोंरात बना लखपति, खुदाई के दौरान मिला कीमती हीरा

दो एकड़ खेत का मालिक किसान रातोंरात बना लखपति, खुदाई के दौरान मिला कीमती हीरा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:13 PM IST, Published Date : December 15, 2020/9:36 am IST

पन्ना: मध्यप्रदेश का एक किसान खदान से 14.98 कैरेट का एक हीरा पाकर लखपति बन गया है। नीलामी में उसका यह हीरा 60.60 लाख रूपये में बिका है। यह जानकारी अधिकारियों ने मंगलवार को दी है। अधिकारियों के अनुसार, पन्ना में जिला प्रशासन के तहत आने वाले हीरा कार्यालय में तीन से पांच दिसंबर के बीच हुई नीलामी के दौरान कुल 129.83 कैरेट के 74 हीरे बिके थे।

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पन्ना के हीरा निरीक्षक अनुपम सिंह ने बताया कि इस नीलामी में पांच दिसंबर को किसान लखन यादव (45) का 14.98 कैरेट का हीरा 60.60 लाख रूपये में बिका। उसे यह हीरा पिछले महीने पन्ना जिले के कृष्णा कल्याणपुर इलाके की एक खदान में खुदाई के दौरान मिला था और दो नवंबर को उसने इस हीरे को यहां हीरा कार्यालय में जमा किया था। उन्होंने कहा कि हीरा जमा करने के बाद उसे अग्रिम राशि के रूप में दो-तीन दिन के भीतर एक लाख रूपये दे दिए गये थे और बाकी बचे हुए रूपये 15 जनवरी के बाद दे दिए जाएंगे।

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बुंदेलखंड के पिछड़े इलाके में आने वाला पन्ना हीरे की खदानों के लिए प्रसिद्ध है। लखन यादव एक किसान है। हीरा बिकने से प्रफुल्लित हुए लखन यादव ने कहा, ‘‘हीरा बिकने के बाद मैं बहुत खुश हूं। मुझे जीवन में पहली बार हीरा मिला है। यह प्रभु की कृपा है। उन्हीं का उपहार है। मैं एक छोटा सा किसान हूं। मैं दो एकड़ जमीन का मालिक हूं। हीरे की नीलामी के बाद मिलने वाले पैसे का उपयोग मैं अपने बच्चों की पढ़ाई के लिये करुंगा और उनका जीवन उज्जवल बनाऊंगा।’’

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पन्ना जिले के कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा ने बताया कि इस नीलामी के दौरान कुल 129.83 कैरेट के 74 हीरों की नीलामी 1.65 करोड़ रूपये में हुई थी। उन्होंने कहा कि इन नीलामी में कुल 269.16 कैरेट के 203 नग हीरों की नीलामी के लिए रखा गया था, लेकिन उनमें से 129 नग हीरे बिक नहीं सके। इन हीरों को अगले साल होने वाली नीलामी में रखा जाएगा। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस नीलामी में कोविड-19 महामारी का असर देखा गया, क्योंकि पिछले वर्षों के मुकाबले इस नीलामी में कम हीरा व्यापारी शामिल हुए।

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