राष्ट्रपति के 15 साल बाद रेल के सफर से संचालन में शामिल रेलकर्मी गौरवान्वित | Railway employees proud to be operating by train after 15 years of President

राष्ट्रपति के 15 साल बाद रेल के सफर से संचालन में शामिल रेलकर्मी गौरवान्वित

राष्ट्रपति के 15 साल बाद रेल के सफर से संचालन में शामिल रेलकर्मी गौरवान्वित

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:12 PM IST, Published Date : June 26, 2021/12:15 pm IST

नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) उत्तर प्रदेश स्थित अपने गृहनगर के लिये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा ट्रेन से सफर करने का फैसला इस ट्रेन के संचालन में शामिल रेलकर्मियों के लिए “जीवन में एक बार का अनुभव” और “गौरव का पल” था।

यह बीते 15 सालों में पहला मौका था जब किसी राष्ट्रपति ने ट्रेन से सफर किया। कोविंद ऐसे पहले राष्ट्रपति बन गए हैं जिन्होंने राष्ट्रपति के ‘सैलून’ (अतिविशिष्ट यात्री डिब्बे) में सफर नहीं किया। सूत्रों ने कहा कि उन्होंने कानपुर देहात जिले में स्थित अपने गृहनगर पाराऊंख का सफर ऐसे डिब्बे में किया जो महाराजा एक्सप्रेस ट्रेनों में पर्यटकों द्वारा बुक कराए जाने वाले कोच जैसा था।

राष्ट्रपति कोविंद ने 2018 में रेल मंत्री को पत्र लिखकर उनसे राष्ट्रपति के लिये विशेष डिब्बे को हटाने का अनुरोध किया था क्योंकि उनके मुताबिक इसकी देखभाल व रखरखाव के कारण सरकारी खजाने पर अनावश्यक बोझ पड़ता है।

शुक्रवार को यात्रा के दौरान कोविंद की ट्रेन उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल के दो स्टेशनों झींझक और रूरा में कुछ देर के लिये रुकी थी।

रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि यह पहला मौका था जब एक राष्ट्रपति अपनी विशेष ट्रेन से बाहर निकले और लोगों से बात की तथा उपस्थित लोगों को संबोधित किया। दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से कानपुर सेंट्रल स्टेशन तक राष्ट्रपति की ट्रेन के गार्ड रहे अक्षय दीप चौहान ने कहा, “यह मेरी जिंदगी का कभी न भूलने वाला पल है। राष्ट्रपति की ट्रेन का गार्ड बनना जीवनभर में कभी मिलने वाला एक अवसर है। इससे मुझे गहन संतुष्टि और प्रसन्नता मिली।”

ट्रेन के इंजन चालक संजय कुमार सिंह ने कहा कि यह उनके लिये “गर्व का पल” था और उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति द्वारा ट्रेन से किये गए सफर से ज्यादा लोगों को ट्रेन से यात्रा की प्रेरणा मिलेगी।

एक अन्य चालक अनिल कुमार दीक्षित ने कहा कि उन्होंने कई ट्रेन चलायी किंतु इस ट्रेन को चलाकर वह सबसे ज्यादा खुश महसूस कर रहे हैं।

इससे पहले 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) की पासिंग आउट परेड में शामिल होने के लिये दिल्ली से देहरादून तक का सफर ट्रेन में किया था।

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद अक्सर ट्रेन से सफर किया करते थे। दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर मौजूद लोगों से जब ‘पीटीआई-भाषा’ ने बात की तो उन्होंने भी आम आदमी की सवारी का कोविंद द्वारा इस्तेमाल किये जाने पर उनकी सराहना की और उन्हें “जनता का राष्ट्रपति” करार दिया।

देश के प्रथम नागरिक की सुगम व सुरक्षित यात्रा के लिये रेलवे ने नागरिक प्रशासन के साथ करीबी समन्वय में व्यापक इंतजाम किये थे।

ट्रेन के सुरक्षित संचालन में शामिल ऐसे ही एक कर्मी हैं दादरी स्टेशन पर पटरी के रखरखाव विभाग से जुड़े ट्रॉलीमैन विनोद। विनोद ने बताया, “हमनें ट्रेन के गुजरने से पहले पटरियों की सघन जांच की। जब ट्रेन गुजर रही थी तो मैं स्टेशन पर खड़ा था और बतौर रेलकर्मी खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा था कि यात्रा के साधन के तौर पर राष्ट्रपति एक ट्रेन का इस्तेमाल कर रहे हैं।”

मार्ग में पड़ने वाले एक समपार फाटक पर तैनात गेटमैन विवेक कुमार ने कहा कि वह उस वक्त बेहत रोमांचित महसूस कर रहे थे जब ट्रेन उनके फाटक से गुजर रही थी और वे “सब ठीक है संकेत” का आदान-प्रदान कर रहे थे।

राष्ट्रपति जब सफदरजंग स्टेशन पर ट्रेन में सवार हो रहे थे तब रेल मंत्री पीयूष गोयल भी वहां मौजूद थे और उन्होंने यात्रा के लिये ट्रेन का इस्तेमाल करने पर राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया और उम्मीद जताई कि व्यापक रेल नेटवर्क कोरोना बाद के काल में देश के आर्थिक चमक हासिल करने में मददगार होगा।

राष्ट्रपति कोविंद शुक्रवार को कानपुर पहुंचे थे। वह 28 जून को कानपुर सेंट्रल स्टेशन से ट्रेन में सवार होंगे और लखनऊ जाएंगे जहां वह दो दिन रहेंगे। राष्ट्रपति 29 जून को दिल्ली लौट आएंगे।

भाषा

प्रशांत माधव

माधव

 

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