विएना स्थित आईपीआई ने की केरल सरकार के अध्यादेश की निंदा | Vienna-based IPI condemns Kerala government ordinance

विएना स्थित आईपीआई ने की केरल सरकार के अध्यादेश की निंदा

विएना स्थित आईपीआई ने की केरल सरकार के अध्यादेश की निंदा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:54 PM IST, Published Date : November 23, 2020/7:23 pm IST

नयी दिल्ली, 23 नवम्बर (भाषा) विएना स्थित अंतरराष्ट्रीय प्रेस संस्थान (आईपीआई) ने केरल सरकार के उस अध्यादेश की सोमवार को निंदा की जिसमें राज्य पुलिस अधिनियम में एक विवादास्पद संशोधन किया गया था।

आईपीआई की कार्यकारी निदेशक बाबरा त्रिओनफी ने कहा कि यह राज्य ही नहीं, अपितु देश में भी प्रेस की स्वतंत्रता को ‘‘बड़ा झटका’’ है और इससे अन्य राज्य सरकारों के सामने भी स्वतंत्र मीडिया का ‘‘गला घोंटने’’ का उदाहरण पेश होगा।

इस बीच, आईपीआई की भारतीय शाखा (चैप्टर) ने कहा कि केरल अध्यादेश के जरिये केरल पुलिस अधिनियम में एक नई धारा जोड़ी गई जिसके तहत अगर कोई शख्स मीडिया के जरिए किसी व्यक्ति की मानहानि या अपमान करने वाली किसी सामग्री का उत्पादन करता है, प्रकाशित करता है या प्रसारित करता है तो उसे तीन साल साल की कैद हो सकती है।

आईपीआई इंडिया ने इस अध्यादेश की निंदा उस दिन की जब केरल की माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक सरकार ने अलग-अलग वर्गों की आलोचना के बाद राज्य पुलिस अधिनियम में विवादित संशोधन लागू करने पर सोमवार को रोक लगा दी।

भारतीय राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष एन रवि द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि आईपीआई ने मांग की कि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को तुरंत इस अध्यादेश को रद्द कर देना चाहिए, जिसमें ‘‘भारतीय संविधान के तहत स्वतंत्रता की गारंटी को दबाने का असंवैधानिक और गैरकानूनी प्रयास’’ किया गया है।

बयान में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय प्रेस संस्थान केरल में ‘‘उस काले अध्यादेश की कड़े शब्दों में निंदा करता है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता पर ‘सबसे गंभीर’ कानूनी हमला करता है।’’

आईपीआई इंडिया ने कहा कि संदर्भ और परिस्थितियों से यह स्पष्ट होता है कि अध्यादेश किसी भी कमजोर समूह की रक्षा करने के बजाय सरकार के आलोचकों को चुप कराने का ऐसे समय में एक ‘कुत्सित प्रयास’ था, जब राज्य सरकार की नीतियों और कार्यों का मीडिया और लोगों द्वारा आकलन किया जा रहा है, जो उनका एक लोकतांत्रिक अधिकार है।

आईपीआई संपादकों, मीडिया अधिकारियों और अग्रणी पत्रकारों का एक वैश्विक नेटवर्क है।

भाषा

देवेंद्र उमा

उमा

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नननन सिम्मी वैभव

वैभव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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