नई दिल्ली । अमेरिका द्वारा ईरान से कच्चे तेल की खरीद पर लगी पाबंदी से भारत को मिली छूट 2 मई से खत्म हो गई है। लोकसभा चुनावों के बीच ये पाबंदी मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है। हालांकि भारत ने खाड़ी देशों से तेल खरीदने के लिए संवाद बढ़ाया है। तेल के बड़े उत्पादक देशों सऊदी अरब, इराक और यूएई से भारत तेल कीआपूर्ति बढ़ाएगा। बावजूद इसके तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है। जानकारों का मानना है कि अब सबकी निगाहें ओपेक की अगुवाई करने वाले और ईरान के धुरविरोधी देश सऊदी अरब पर होगी। अगर सऊदी अरब और उसके सहयोगी देश तेल उत्पादन बढ़ाते हैं तो ही वैश्विक तौर पर कीमतें स्थिर रह पाएंगी।
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बता दें कि बीते दिनों अमेरिका ने ईरान से कच्चा तेल खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस बैन का सबसे ज्यादा असर भारत और चीन पर पड़ रहा है। भारत अपनी खपत का करीब 12 फीसदी कच्चा तेल ईरान से क्रय करता है। ईरान से तेल का परिवहन भी आसान और सस्ता पड़ता है। अब अमेरिकी प्रतिबंध के चलते भारत को ईरान से कच्चे तेल खरीदना बंद करना होगा। अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए भारत को खाड़ी के देशों से तेल खरीदना होगा जो महंगा सौदा साबित हो सकता है।इन प्रतिबंधों के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। इसकी वजह से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा हो सकता है।
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बता दें कि ईरान के परमाणु समझौते के उल्लंघन को लेकर अमेरिका ने बीते साल ईरान पर व्यापार से जुड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। हालांकि, अमेरिका ने चीन , भारत , जापान , दक्षिण कोरिया, ताइवान, तुर्की, इटली और यूनान को 6 महीने तेल खरीदने की छूट दी थी। प्रतिबंध की ये अवधि 2 मई को खत्म हो गई है। सऊदी अरब वैसे भारत को सबसे ज्यादा तेल आपूर्ति करता रहा है, लेकिन 2017-18 में इराक ने उसे पीछे छोड़ दिया है।
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बता दें कि इराक ने अप्रैल 2018 से मार्च 2019 के दौरान भारत को 4.66 करोड़ टन कच्चा तेल बेचा था। यह वित्त वर्ष 2017-18 के 4.57 करोड़ टन की तुलना में 2 फीसदी अधिक है। सऊदी अरब वैसे तो पारंपरिक तौर पर भारत को तेल की आपूर्ति करने वाला सबसे प्रमुख देश है लेकिन 2017-18 में पहली बार इराक ने सऊदी अरब के मुकाबले भारत को सबसे अधिक तेल बेचा था। सऊदी अरब ने 2018-19 में 4.03 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया, जो कि 2017-18 में 3.61 करोड़ टन तेल के आयात से अधिक है। ईरान भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है।