नई दिल्ली । उत्तर पश्चिम दिल्ली से भाजपा सांसद उदित राज कांग्रेस में शामिल हो गए। पिछले 24 घंटे से जारी सियासी घटनाक्रमों के बीच बुधवार सुबह उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी संग मुलाकात की। दिल्ली से बीजेपी ने मौजूदा सांसद उदित राज का टिकट काट कर प्रसिध्द गायक और संगीतकार हंसराज हंस को टिकट दिया है। इस बात से नाराज होकर उदित राज ने बीजेपी छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। इसके पहले बुधवार सुबह उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी।
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टिकट कटने की खबरों के बाच उदित राज बीजेपी पर हमलावर थे। पार्टी पर दवाब बनाने की भी भरसक कोशिश की, लेकिन बीजेपी ने हंसराज हंस को टिकट दे दिया ।उदित राज अब दिल्ली से तो चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, दिल्ली की सभी 7 सीटों के लिए नामांकन की तारीख बीत गई है। हालांकि कांग्रेस उन्हें किसी और राज्य की सीट से उम्मीदवार बना सकती है। उदित राज ने कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल होने की औपचारिकता पूरी की। इस दौरान बुलाई गई प्रेस कांफ्रेस में उदित राज ने भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा को दलित वोट तो चाहिए, लेकिन दलित नेता नहीं।
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पत्रकारवार्ता में उदित राज ने स्वीकार किया कि भाजपा टिकट देती तो चुनाव लड़ता। टिकट कटने की वजह यह है कि दो अप्रैल 2018 को जब दलित सड़कों पर आए, तो मैंने समर्थन किया। उन्होंने कहा कि 2014 में रामनाथ कोविंद मेरे पास आए थे। कहा कि मेरा कुछ कराइए। वह भी टिकट चाहते थे, लेकिन नहीं दिया। वह चुप रहे तो उन्हें राष्ट्रपति बना दिया गया। हो सकता है, मैं चुप रहता तो मुझे भी पीएम बना देते। मैं गूंगा-बहरा बन कर नहीं रह सकता। इससे पहले उन्होंने अपने ट्विटर एकाउंट पर लिखा कि अगर मुझे पहले बता दिया गया होता तो इतना कष्ट ना होता। पार्टी को इतना कष्ट क्यों करना पड़ा कि नामांकन के आखिरी दिन एक बजे नाम की घोषणा करनी पड़ी। पहले कह देते तो मुझे कोई तकलीफ नहीं होती। किराएदार हूं, बात मान लेना पड़ता।
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उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से टिकट कटने के बाद बीजेपी सांसद उदित राज ने पहले चौकीदारी छोड़ी, उसके बाद वापस भी ले ली। मतलब ये कि भाजपा से उम्मीदवारी खारिज हो जाने के बाद पहले उन्होंने अपने ट्विटर परिचय में चौकीदार डॉ. उदित राज से ‘चौकीदार’ शब्द हटाकर डॉ. उदित राज कर दिया। लेकिन कुछ ही घंटे के बाद ‘चौकीदार’ शब्द वापस जुड़ गया। माना जा रहा है कि, भाजपा से कोई आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने ये फैसला किया होगा।