मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में ब्रजेश ठाकुर दोषी साबित, आजीवन कारावास की सजा | brajesh thakur life impression on muzaffarpur shelter Home case

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में ब्रजेश ठाकुर दोषी साबित, आजीवन कारावास की सजा

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में ब्रजेश ठाकुर दोषी साबित, आजीवन कारावास की सजा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:21 PM IST, Published Date : February 11, 2020/12:53 pm IST

मुजफ्फपुर: शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों से रेप मामले में सेशन कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। मामले में कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को नाबालिग बच्चियों के साथ यौन शोषण और मारपीट को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

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गौरतलब है कि साल 2018 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट ने इस बात का स्प्ष्ट उल्लेख किया गया था कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण हो रहा है। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करते हुए 20 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 20 में से 19 लोगों को दोषी करार दिया है।

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ये पाए गए दोषी
ब्रजेश ठाकुर के अलावा कोर्ट ने इंदू कुमारी (बालिकागृह अधीक्षक), मीनू देवी (बालिकागृह में गृह माता), मंजू देवी (काउंसलर), चंदा देवी (बालिकागृह में गृह माता), नेहा कुमारी (नर्स), हेमा मसीह (केस वर्कर), किरण कुमारी (सहायक), रवि कुमार, विकास कुमार (सीडब्लूसी का सदस्य), दिलीप कुमार (सीडब्लूसी का अध्यक्ष), विजय तिवारी (चालक), गुड्डू पटेल, कृष्णा राम, रोजी रानी, रामानुज ठाकुर उर्फ मामू, रामाशंकर सिंह उर्फ मास्टर, डॉक्टर अश्विनी, नरेश प्रसाद और साइस्ता परवीन उर्फ मधु को दोषी करार दिया. वहीं, रवि रोशन दोषी ठहराए जाने के बाद कोर्ट में ही रोने लगा और आत्महत्या करने की धमकी देने लगा. इस मामले में विक्की नाम के व्यक्ति को कोर्ट ने बरी कर दिया।

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गौरतलब है कि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट पेश करते हुए दावा किया था कि सभी 17 आश्रय गृह मामलों में जांच पूरी हो गई है। 13 नियमित मामलों में अंतिम रिपोर्ट सक्षम अदालत को भेजी गई है। चार प्रारंभिक मामलों की जांच पूरी हो गई है और आपराधिक कृत्य को साबित करने वाले साक्ष्य नहीं मिले और इसलिए इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। सभी मामलों में संलिप्त सरकारी सेवकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बिहार के मुख्य सचिव को सीबीआई की रिपोर्ट भेज दी गई है।

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