सीएम भूपेश ने कहा, हम राष्ट्रीयकृत बैंकों के ऋण भी माफ करेंगे, ननकी की शिकायत पर भी होगी कार्रवाई | CM Bhupesh said we will also waive the debt of nationalized banks

सीएम भूपेश ने कहा, हम राष्ट्रीयकृत बैंकों के ऋण भी माफ करेंगे, ननकी की शिकायत पर भी होगी कार्रवाई

सीएम भूपेश ने कहा, हम राष्ट्रीयकृत बैंकों के ऋण भी माफ करेंगे, ननकी की शिकायत पर भी होगी कार्रवाई

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:25 PM IST, Published Date : January 10, 2019/9:02 am IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि हम राष्ट्रीयकृत बैंकों के ऋण भी माफ़ करेंगे। भाजपा शासनकाल में नक्सलवाद बढ़ा है। उन्होंने कहा कि 15 साल तक नक्सल समस्या का हल ढूंढ रहे थे, वो और बढ़ गया।

उन्होंने कहा कि हमने जो नहीं कहा, उसे भी उन्होंने सुन लिया। हमने तो इतना ही कहा कि पीड़ित से बात करेंगे। क्लोजडोर मीटिंग हुई थी, उसकी कौन सी बात पर अमल किया गया। हम जवानों को श्रद्धांजलि ही देते रहे। अब अब इनको पसन्द नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूपेश ने कहा चिटफ़ंड का पैसा ग़रीबों का लौटाएंगे।

यह भी पढ़ें : सफेद बाघ की मौत का मामला, सेंट्रल जू अथॉरिटी ने वन विभाग से मांगी रिपोर्ट 

उन्होंने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि बदलापुर आप लोगों में है, अपने लोगों को भी नहीं छोड़ा। इतनी बड़ी संख्या में कभी किसानों की कर्जमाफी नहीं हुई, उसके बाद भी आप किन्तु परंतु लगा रहे हैं। आज छत्तीसगढ़ का किसान महसूस कर रहा है कि पहली बार किसानों की सरकार बनी है। आप 15 साल में 2100 रुपए देने का फैसला नहीं कर पाए। भूपेश ने कहा कि पूर्व गृह मंत्री ननकी राम कंवर ने जो पत्र दिया है उस पर भी कार्रवाई का आदेश दिया है। इस पर ननकीराम ने कहा कि जिस कलेक्टर ने ODF घोषित किया और काम नहीं हुआ उस पर कार्रवाई करें। भूपेश ने जवाब दिया कि बिल्कुल जांच कराएंगे अजय चंद्राकर ने कहा- कलेक्टर घोषित नहीं करता है चाहे तो SIT जांच करा लो।

मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि आप  शराबबंदी को लेकर सवाल उठा रहे हैं, ये कोई नोटबन्दी नहीं है, जिसमें हजारों लोग मर गए। किसी को विश्वास में नहीं लिया गया। 500 के नोट को रद्दी के टोकरे में डाल दिया गया। हमने कहा है हम शराबबंदी करेंगे, लेकिन राज्य में 85 तहसील अनुसूचित क्षेत्रो में आता है। हम बात करेंगे। हमने कमेटी भी बनाई है। ये चाहते हैं कि 20 दिन में फैसला हो जाए। हमे जनमत 5 साल के लिए मिला है। शराब एक सामाजिक बुराई है, सरकार के साथ-साथ समाज को भी आगे आना होगा। हमने इसकी कोशिश भी शुरू कर दी है। चाहे नक्सलवाद का मुद्दा हो या शराबबंदी का जो पूर्ववत व्यवस्था है। वह चलती रहेगी भले ही इसमें सालभर क्यों न लग जाए।  हम चर्चा करने के बाद, विश्वास में लेने के बाद कदम उठाएंगे।