धनतेरस से शुरू होता है दीवाली का पर्व, ऐसे करें पूजा की तैयारी  | Dhanteras par ese karne pooja ki teyari

धनतेरस से शुरू होता है दीवाली का पर्व, ऐसे करें पूजा की तैयारी 

धनतेरस से शुरू होता है दीवाली का पर्व, ऐसे करें पूजा की तैयारी 

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:09 PM IST, Published Date : October 13, 2017/11:55 am IST

दीवाली का त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अश्विन महीने के अंत और कार्तिक के महीने के शुरू में, पांच दिवसीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है। दीपावली में सुख, समृद्धि और देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहे इसके लिए इन पांच दिनों में आपको पहले से क्या तैयारी करनी है, किन बातों का ध्यान रखना होगा, पूजा की क्या तैयारी करनी है, शुभ फल प्राप्ति के लिए क्या करें, किन बातों से बचें आदि इन सब की जानकारी हम आपको पहले से ही दे रहे हैं।

धनतेरस से दिपावली पर्व की शुरूआत होती है। इस दिन किस तरह से पूजा-अर्चना करें और किन बातों का ख्याल रखें, ताकि मां लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहे, सबसे पहले यही जानते हैं। 

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पूजा की तैयारी

धनतेरस के पहले दिन रंगोली और फूलांे से घर को सजा लें। पुरे घर में रौशनी करें। पूजा की तैयारी सूर्योदय से पहले नित्यकर्म और स्नान आदि से निपटकर शुरू कर देनी चाहिए। धनतेरस की रात को, लक्ष्मी और धनवंतरी के सम्मान में दीये (दीपक) रात भर जलाकर रखना चाहिए। इस दिन व्यापारी और दुकानदार अपने पुराने साल की क्लोजिंग करते हैं, और लक्ष्मी और अन्य देवताओं से आशीर्वाद के साथ एक नया वित्तीय वर्ष शुरू करते हैं। शाम के समय गणेश और लक्ष्मी की पूजा करने के लिए नए कपड़े और गहने पहनते है।

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घर या आसपास के किसी भी कोने में गंदगी न रहने दें। धनतेरस की शाम को मिट्टी के दीपक में तिल का तेल भरकर नई रूई की बाती जलाएं, जिसका मुख दक्षिण की ओर होना चाहिए। मुहूर्त के अनुसार पूजन की तैयारी करें, पूजा के लिए कुबेर यंत्र का प्रयोग पूजा और साधना के लिए किया जाए तो यह बहुत ही शुभ प्रभाववाला साबित होता है। पूजा प्रारंभ करने से पहले तिजोरी या आभूषण के बक्से के ऊपर सिंदूर के साथ स्वस्तिक का चिन्ह बना दें और हाथ में कलेवा बांधें। 

 

खरीदारी

धनतेरस के मौके पर बर्तन, आभूषण आदि की खरीद अपनी राशि के अनुसार करें, इसके साथ दूसरी कोई उपयोग में आनेवाली वस्तु अपने सामथ््र्य अनुसार खरीदें। बर्तनों में आप पीतल, तांबे या चांदी के बर्तन खरीद सकते हैं। सोने या चांदी का सिक्का खरीदना भी शुभ होता है। दिवाली के पहले घर के लिए नई चीजें जैसे, फर्नीचर, इलेकट्रोनिक उपकरण, सजावटी समान आदि खरीदते हैं।

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धनतेरस का दिन खरीदी का एक विशेष दिन होता है। बर्तनों के अतिरिक्त दूसरी वस्तुओं में कपड़े, स्टेशनरी, सुगंध, हल्दी, तेजपत्ता, पत्थर की निर्मित वस्तु या मूर्ति, मेवे-मिठाई आदि हो सकते हैं। दीपदान के लिए मिट्टी का दीपक ही जलाएं और उसमें तिल के तेल का इस्तेमाल करें। धनागमन के लिए घर के प्रवेशद्वार पर की जानेवाली सजावट के लिए चावल के आटे, रंगीन पाउडर, चॉक, फूल, आम के पत्ते का प्रयोग करें। 

 

इन बातों का रखें ध्यान

वास्तु के अनुसार कोई भी पूजा घर के उत्तरी हिस्से में शुभ मानी गई है। पूजा के समय घर में गुलाब या चंदन की खुशबूवाली अगरबत्ती का ही प्रयोग करें। घर में मिट्टी के चार दीये एक साथ रखें। इसका अर्थ लक्ष्मी, गणेश, कुबेर और इंद्र से है। सात्विक भोजन करें, मांसाहार या शराब का सेवन न करें। नकारात्मक ऊर्जा देनेवाले सामानों को घर से निकाल बाहर करें, ऐसी वस्तुओं के रूप में पुराने टूटे बर्तन, अखबार, पत्र-पत्रिकाएं, टूटे खिलौने, बंद घड़ियां, खराब फोन, कंप्यूटर आदि के सामान या दूसरी तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स आदि हो सकते हैं। घर के कोने-कोने में नमक मिश्रित जल का छिड़काव करना नहीं भूलें। 

 
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