नोटबंदी का चौथा साल, मोहन मरकाम बोले- न कालाधन रुका, न आतंकी घनटाएं रुकी, बोझ तले लदी है केंद्र सरकार | Fourth year of notbandi, Mohan Markam gave a statement

नोटबंदी का चौथा साल, मोहन मरकाम बोले- न कालाधन रुका, न आतंकी घनटाएं रुकी, बोझ तले लदी है केंद्र सरकार

नोटबंदी का चौथा साल, मोहन मरकाम बोले- न कालाधन रुका, न आतंकी घनटाएं रुकी, बोझ तले लदी है केंद्र सरकार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:06 PM IST, Published Date : November 8, 2020/7:01 am IST

रायपुर, छत्तीसगढ़। मोदी सरकार के नोटबंदी का आज चौथा साल है। कांग्रेसी इस दिन को विश्वासघात दिवस के रुप में मना रहे हैं। नोटबंदी पर पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बयान दिया कि नोटबंदी से देश को फायदा नहीं बल्कि नुकसान पहुंचा है। नोटबंदी से कालाधन, आतंकी घटनाएं नहीं रुकी। नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। 

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मोहन मरकाम ने आगे कहा कि नोटबंदी ने आम लोगों की कमर तोड़ दी। केंद्र सरकार आज बोझ तले लदा हुआ है। नोटबंदी से कोई एक अच्छा काम गिनाने लायक नहीं हुआ है। पीसीसी चीफ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधायक सत्यनारायण शर्मा सहित कई कांग्रेसी नेता शामिल शामिल थे। 

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बता दें केंद्र की मोदी सरकार ने आज ही के दिन चार साल पहले के नोट बंदी लागू की थी। आज इसी मुद्दे पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने प्रेस वार्ता की। मरकाम ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि नोटबंदी से देश को भारी नुक़सान हुआ है। सैकड़ों लोगों की मौत और लाखों लोग बेरोज़गार हुए। देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। इन सब के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ज़िम्मेदार है। प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि केंद्र सरकार और भाजपा के नेता मोदी के दो कार्यकाल की अनेक योजनाओं की तारीफ़ करते हैं लेकिन नोटबंदी की कभी तारीफ़ नहीं करते हैं।

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इससे स्पष्ट होता है की नोटबंदी का फ़ैसला जनता के हित में नहीं था। मोहन मरकाम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि नोटबंदी से देश में आतंकवाद पर रोक लगेगी और कालाधन ख़त्म होगा। लेकिन इन दोनों चीज़ों पर कोई लगाम नहीं लगी। बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई और केंद्र सरकार कर्ज़ के बोझ से लद गई।

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मरकाम ने यह भी कहा की नोटबंदी के दौरान दो हज़ार रुपए का नोट लेनदेन में लाया गया, जिसे लाने और ले जाने, छुपाने में आसानी है। इसके कारण भी रिश्वत के कई मामले सामने आ चुके हैं। मरकाम ने कहा कि नोटबंदी के कुछ महीने पहले भाजपा के कई नेताओं ने देश के अलग-अलग राज्यों में भूमि सम्पत्तियों में निवेश किया और एक दिन पहले ही भारी मात्रा में बैंकों में धन जमा किए गए।