प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर 5 करोड़ लोगों के शाही स्नान की संभावना | Kumbh Mela2019 ahead of second 'shahi snan'

प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर 5 करोड़ लोगों के शाही स्नान की संभावना

प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर 5 करोड़ लोगों के शाही स्नान की संभावना

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:52 PM IST, Published Date : February 4, 2019/4:36 am IST

मौनी अमावस्या माघ मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। कुंभ मेले में आज सुबह से मौनी अमावस्या का शाही स्नान चल रहा है इस स्नान के लिए प्रयागराज शहर में कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। कुंभ मेले के दूसरे शाही स्नान के लिए प्रशासन ने देश भर से करीब 5 करोड़ लोगों के प्रयागराज पहुंचने का अनुमान लगाया है।

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बता दें क़ि यह योग पर आधारित महाव्रत है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। गंगा तट पर भक्त जन एक मास तक कुटी बनाकर गंगा सेवन करते हैं।जब सागर मंथन से भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए उस समय देवताओं एवं असुरों में अमृत कलश के लिए खींचा-तानी शुरू हो गयी इससे अमृत की कुछ बूंदें छलक कर इलाहाबाद हरिद्वार नासिक और उज्जैन में जा गिरी। यही कारण है कि यहाँ की नदियों में स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है।
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<blockquote class=”twitter-tweet” data-lang=”en”><p lang=”in” dir=”ltr”>Varanasi: Devotees take holy dip in river Ganga on the occasion of &#39;Mauni Amavasya&#39; <a href=”https://t.co/KIJNYub8Ih”>pic.twitter.com/KIJNYub8Ih</a></p>&mdash; ANI UP (@ANINewsUP) <a href=”https://twitter.com/ANINewsUP/status/1092233954998898689?ref_src=twsrc%5Etfw”>February 4, 2019</a></blockquote>
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यह तिथि अगर सोमवार के दिन पड़ती है तब इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है। अगर सोमवार हो और साथ ही महाकुम्भ लगा हो तब इसका महत्व अनन्त गुणा हो जाता है। शास्त्रों में कहा गया है सत युग में जो पुण्य तप से मिलता है द्वापर में हरि भक्ति से, त्रेता में ज्ञान से, कलियुग में दान से, लेकिन माघ मास में संगम स्नान हर युग में अन्नंत पुण्यदायी होगा। इस तिथि को पवित्र नदियों में स्नान के पश्चात अपने सामर्थ के अनुसार अन्न, वस्त्र, धन, गौ, भूमि, तथा स्वर्ण जो भी आपकी इच्छा हो दान देना चाहिए। इस दिन तिल दान भी उत्तम कहा गया है। इस तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है अर्थात मौन अमवस्या। चूंकि इस व्रत में व्रत करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता इसलिए यह योग पर आधारित व्रत कहलाता है।
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शास्त्रों में वर्णित भी है कि होंठों से ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है, उससे कई गुणा अधिक पुण्य मन का मनका फेरकर हरि का नाम लेने से मिलता है। इसी तिथि को संतों की भांति चुप रहें तो उत्तम है। अगर संभव नहीं हो तो अपने मुख से कोई भी कटु शब्द न निकालें। इस तिथि को भगवान विष्णु और शिव जी दोनों की पूजा का विधान है। वास्तव में शिव और विष्णु दोनों एक ही हैं जो भक्तो के कल्याण हेतु दो स्वरूप धारण करते हैं इस बात का उल्लेख स्वयं भगवान ने किया है। इस दिन पीपल में आर्घ्य देकर परिक्रमा करें और दीप दान दें। जो लोग गरीबी से त्रस्त है, संतान प्राप्ति न होती हो, व्यवसाय शुरू होते ही ठप्प पड़ जाता हो, उनके लिए मौनी अमावस्या का पर्व विशेष फल लेकर आ रहा है। ऐसे पीड़ित लोग चांदी का छोटा सा पीपल बनाकर दान करेंगे तो सारे दुर्योगों का विनाश हो जाएगा।भले ही संयुक्त राष्ट्र की सूची में चीन, जापान और अमेरिका के अलग-अलग शहर सबसे ज्यादा जनसंख्या के देश रहे हों, लेकिन 4 फरवरी का दिन प्रयागराज को दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला शहर बना देगा।बता दें कि मौनी अमावस्या के दिन पर करीब 5 करोड़ लोगों के प्रयागराज शहर में पहुंचने की उम्मीद लगाई जा रही है। ऐसे में अगर यह अनुमान सही हुआ तो प्रयागराज शहर दुनिया की सबसे अधिक आबादी का शहर बन जाएगा।