सेना में समय से पहले रिटायर्मेंट पर कम होगी पेंशन, जानिए नए प्रस्ताव के बारे में | Premature retirement will reduce pension in the army, know about the new proposal

सेना में समय से पहले रिटायर्मेंट पर कम होगी पेंशन, जानिए नए प्रस्ताव के बारे में

सेना में समय से पहले रिटायर्मेंट पर कम होगी पेंशन, जानिए नए प्रस्ताव के बारे में

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:49 PM IST, Published Date : November 5, 2020/6:50 am IST

नई दिल्ली। सेना में सैन्यकर्मियों की पेंशन को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) ने एक बड़ी सुधार पहल के तहत समय पूर्व सेवानिवृत्ति लेने वाले सैन्यकर्मियों की पेंशन में महत्वपूर्ण कटौती करने तथा कुछ श्रेणियों के अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने की सिफारिश की है।

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पेंशन का फॉर्मूला बदलने के प्रस्ताव का सेना के अधिकारी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे उन अफसरों को आर्थिक नुकसान हो सकता है, जो अभी रिटायर होने वाले हैं। इस प्रस्ताव को अदालत में चुनौती देने की बात कही जा रही है।

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अफसरों की माने तो प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत की अध्यक्षता वाले डीएमए का कदम संसाधनों और श्रमशक्ति का पर्याप्त इस्तेमाल सुनिश्चित करने पर केंद्रित सिलसिलेवार सुधारों का हिस्सा है।

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नया प्रस्ताव

नए प्रस्ताव के अनुसार सेना में कर्नल, ब्रिगेडियर और मेजर जनरल तथा नौसेना और वायु सेना में उनके समकक्षों के सेवा निवृत होने की आयु क्रमश 57, 58 और 59 वर्ष होगी। अभी यह आयु सीमा क्रमश 54, 56 और 58 वर्ष है। लेफ्टिनेंट जनरल और उनसे उपर के अधिकारियों के मामले में कोई बदलाव नहीं किया गया है। लॉजिस्टिक्स, टेक्निकल, मेडिकल (ईएमई और एएससी सहित) जवानों और जेसीओ की तीनों सेनाओं में सेवा निवृति की उम्र 57 वर्ष करने का प्रस्ताव है।

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पेंशन को लेकर प्रस्ताव

नए प्रस्ताव में पेंशन को सेवा की अवधि से जोड़ने की बात कही गई है। इसके अनुसार 20 से 25 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत होने वाले को 50 प्रतिशत, 26 से 30 वर्ष की सेवा करने पर 60 प्रतिशत, 30 से 35 वर्ष की सेवा करने वाले को 75 प्रतिशत तथा 35 वर्ष से अधिक सेवा करने वाले को पूरी पेंशन दी जाएगी।

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पेंशन में कमी के बारे में यह तर्क दिया गया है कि कई बार पद रिक्त न होने और कुछ सेवा शर्तों के चलते बड़ी संख्या में जवान तथा अधिकारी सेवानिवृत हो जाते हैं। इन्हें कई क्षेत्रों में कौशल का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है और यदि ये प्रशिक्षित लोग समय से पहले सेवानिवृत हो जाते हैं तो यह सशस्त्र सेनाओं के लिए नुकसान है। इसे देखते हुए पेंशन की समीक्षा करने का निर्णय लिया जा रहा है। युद्ध में मारे जाने वालों की पेंशन में किसी तरह के बदलाव का प्रस्ताव नहीं है।