राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सिंगौरगढ़ किले के जीर्णोद्धार का किया भूमिपूजन, जनजातीय सम्मेलन में हुए शामिल | President Ram Nath Kovind did Bhoomipujan for the restoration of Singaurgarh Fort, attended the tribal conference

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सिंगौरगढ़ किले के जीर्णोद्धार का किया भूमिपूजन, जनजातीय सम्मेलन में हुए शामिल

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सिंगौरगढ़ किले के जीर्णोद्धार का किया भूमिपूजन, जनजातीय सम्मेलन में हुए शामिल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:27 PM IST, Published Date : March 7, 2021/2:24 pm IST

दमोह: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मध्यप्रदेश प्रवास के दौरान रविवार को दमोह के सिंगरामपुर जन जातीय सम्मेलन में पहुंचे, जहां उन्होंने सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण कार्य का शिलान्यास किया। इस दौरान मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल भी मौजूद रहे।

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अपने प्रवास के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सड़क मार्ग से ग्राम सिंग्रामपुर पहुंचे, यहां वे जनजातीय सम्मेलन में शामिल हुए। साथ ही वीरांगना रानी दुर्गावती के किले के जीर्णोद्धार का भूमिपूजन किया। वहीं इस अवसर पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कक्षा 10वीं व 12वीं में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया। छात्रों को शंकर शाह पुरस्कार व छात्राओं को रानी दुर्गावती पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का मुख्यमंत्री चौहान ने गौंड़ कलाकार आनन्द श्याम द्वारा बनाई गई गौंड़ कलाकृति भेंट कर सम्मान किया। साथ ही कार्यक्रम के दौरान राज्यस्तरीय जनजातीय सम्मेलन में जनजातीय विभाग की पुस्तिका ‘बानगी’ का विमोचन किया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पुस्तिका का विमोचन इसकी पहली प्रति राष्ट्रपतिद रामनाथ कोविन्द को भेंट की।

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विभिन्न जनजातीय समुदायों ने हमारे स्वाधीनता संग्राम में गौरवशाली योगदान दिया है। हमारे वे जनजातीय शहीद, केवल स्थानीय रूप से ही नहीं पूजे जाते हैं बल्कि पूरे देश में उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है। हम सबको यह स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि आदिवासी समुदाय का कल्याण तथा विकास पूरे देश के कल्याण और विकास से जुड़ा हुआ है। इसी सोच के साथ केंद्र एवं राज्य की सरकारों द्वारा जनजातियों के आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं।

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मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 6 नए मण्डलों का सृजन किया गया है। इन नए मण्डलों में जबलपुर मण्डल भी शामिल है जिसका आज ही शुभारंभ हुआ है। हम सबको अपने जनजातीय भाई-बहनों से बहुत कुछ सीखना चाहिए। जनजातीय समुदायों में एकता-मूलक समाज को बनाए रखने पर ज़ोर दिया जाता है। उनमें स्त्रियों और पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं किया जाता है। इसलिए जनजातीय आबादी में स्त्री-पुरुष अनुपात सामान्य आबादी से बेहतर है।

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यदि आपको मानवता की जड़ों से जुड़ना है तो आपको जनजातीय समुदायों के जीवन-मूल्यों को अपनी जीवनशैली में लाने का प्रयास करना चाहिए। आज Made in India के साथ-साथ Hand Made in India को प्रोत्साहित करने पर भी बल दिया जा रहा है। हस्तशिल्प के क्षेत्र में हमारे जनजातीय भाई-बहन अद्भुत कौशल के धनी हैं। ‘आदिवासी महिला सशक्तीकरण योजना’ अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के आर्थिक विकास के लिए एक विशिष्ट योजना है। ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जनजातीय वित्त और विकास निगम’ द्वारा इस योजना के तहत रियायती दर पर वित्तीय सहायता दी जाती है।

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