नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अलगाववादियों के खिलाफ लगातार सख्त कदम उठा रही है। शुक्रवार को मोदी सरकार ने यासीन मलिक के संगठन जेकेएलएफ पर प्रतिबंध लगा दिया है। JKLFके खिलाफ यह कार्रवाई आतंकी विरोधी कानून के तहत की गई है। कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। यासीन मलिक को पाकिस्तान में हाफिज सईद के साथ मंच पर भी साथ गया था। यासीन मलिक पर आरोप है कि वह कश्मीर में अलगाव और आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तान के इशारे पर कार्य करता है।
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केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा ने कहा है कि केंद्रीय सरकार ने आज जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (यासीन मलिक गुट) को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत गैरकानूनी घोषित किया है। यह कार्रवाई सरकार द्वारा आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेंस के तहत की गई है।
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पुलवामा आतंकी हमले के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने अलगाववादियों के कड़े कदम उठाए हैं। कई अलगाववादियों को गिरफ्तार किया गया। अलगाववादियों की फंडिंग के खिलाफ ईडी ने कड़ी कारर्वाई की है। इस कड़ी में ईडी ने यासीन मलिक के कई ठिकानों पर भी छापेमारी की थी। इससे पहले 28 फरवरी को केंद्र की मोदी सरकार ने जमात-ए-इस्लामी (जेईआइ) पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। इसके तहत गृह मंत्रालय की कार्रवाई में जेईआइ के प्रमुख हामिद फैयाज सहित 350 से ज्यादा सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था।
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जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने फरवरी माह में कड़ा निर्णय लेते हुए 6 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा और गाड़ी सब वापस लेने का फैसला किया था। इन नेताओं पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती थी और वे ऐश की जिंदगी जीते थे। बता दें कि 1990 और 2002 में बड़े अलगाववादी नेता मीरवाइज फारूख और अब्दुल गनी लोन पर हमले के बाद सरकार ने अलगाववादियों को सुरक्षा देना शुरू किया था। सरकार अलगाववादियों पर साल में करीब 14 करोड़ रुपये खर्च करती है। 11 करोड़ सुरक्षा, 2 करोड़ विदेशी दौरे और 50 लाख गाड़ियों पर खर्च होते हैं। करीब 600 जवान सुरक्षा में लगे रहते हैं। साल 2018 में जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2008 से लेकर 2017 तक अलगाववादियों को सुरक्षा मुहैया करवाने पर 10.88 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
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